Edited By Prachi Sharma,Updated: 20 Oct, 2024 06:50 AM
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश की विशेष पूजा का दिन है। यह दिन गणेश चतुर्थी का एक महत्वपूर्ण स्वरूप है जो विशेष रूप से संकटमोचन गणेश को समर्पित है
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Sankashti Chaturthi 2024: वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश की विशेष पूजा का दिन है। यह दिन गणेश चतुर्थी का एक महत्वपूर्ण स्वरूप है जो विशेष रूप से संकटमोचन गणेश को समर्पित है और ये व्रत आज रखा जा रहा है। इस दिन भक्त गणेश जी की पूजा करते हैं और उनके समक्ष वक्रतुंड स्तुति का पाठ करते हैं, जिससे उनकी कृपा प्राप्त होती है। गणेश जी को विघ्नहर्ता माना जाता है और इस दिन उनका स्मरण करना विशेष फलदायी होता है। यदि आप आज के दिन उनकी स्तुति का पाठ करते हैं तो आपके समस्याएं दिन ब दिन खत्म होने लग जाती हैं। चलिए जानते हैं इस दिन की विशेषताएं और वक्रतुंड स्तुति के पाठ का महत्व।
Importance of Vakratunda Sankashti Chaturthi वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी का महत्व
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी हर महीने की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है विशेषकर जब यह तिथि कृष्ण पक्ष में आती है। इस दिन गणेश जी की उपासना करने से सभी प्रकार के विघ्न दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है। गणेश जी का नाम लेते ही भक्तों के मन में उत्साह और सकारात्मकता का संचार होता है। उनके प्रति भक्ति और श्रद्धा भाव से किए गए पूजन का फल भक्तों को अवश्य मिलता है। इस दिन व्रत करने से भक्त के सभी संकट दूर होते हैं और उन्हें मानसिक शांति मिलती है।
वक्रतुंड स्तुति का महत्व
वक्रतुंड स्तुति भगवान गणेश को समर्पित एक प्राचीन स्तुति है, जो उनकी विशेषताओं और कृपा का गुणगान करती है। इसे पढ़ने से मन को शांति और शक्ति मिलती है। यह स्तुति इस प्रकार है:
गणेश स्तुति -
मुदा करात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं कलाधरावतंसकं विलासिलोकरञ्जकम्।
अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम् ।। १।।
नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं नमत्सुरारिनिर्जकं नताधिकापदुद्धरम् ।
सुरेश्वरमं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ।। २।।
समस्तलोकशंकरं निरस्तदैत्यकुञ्जरं दरेतरोदरं वरं वरेभवक्त्रमक्षरम् ।
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं नमस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ।। ३।।
अकिंचनार्तिमार्जनं चिरंतनोक्तिभाजनं पुरारिपूर्वनन्दनं सुरारिगर्वचर्वणम् ।
प्रपञ्चनाशभीषणं धनंजयादिभूषणं कपोलदानवारणं भजे पुराणवारणम् ।।४।।
नितान्तकान्तदन्तकान्तिमन्तकान्तकात्मजमचिन्त्यरुपमन्तहीनमन्तरायकृन्तनम्।
हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि संततम् ।। ५।।
महागणेश पञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं प्रगायति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् ।
अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां समाहितायुरष्टभूतिमभ्युपैति सोऽचिरात् ।। ६।।
Lord Shri Ganesh Stuti Mantra भगवान श्री गणेश स्तुति मंत्र -
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय, लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय!
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय, गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते!!
भक्तार्तिनाशनपराय गनेशाश्वराय, सर्वेश्वराय शुभदाय सुरेश्वराय!
विद्याधराय विकटाय च वामनाय , भक्त प्रसन्नवरदाय नमो नमस्ते!!
नमस्ते ब्रह्मरूपाय विष्णुरूपाय ते नम:!
नमस्ते रुद्राय्रुपाय करिरुपाय ते नम:!!
विश्वरूपस्वरूपाय नमस्ते ब्रह्मचारणे!
भक्तप्रियाय देवाय नमस्तुभ्यं विनायक!!
लम्बोदर नमस्तुभ्यं सततं मोदकप्रिय!
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा!!
त्वां विघ्नशत्रुदलनेति च सुन्दरेति ,
भक्तप्रियेति सुखदेति फलप्रदेति!
विद्याप्रत्यघहरेति च ये स्तुवन्ति,
तेभ्यो गणेश वरदो भव नित्यमेव!!
गणेशपूजने कर्म यन्न्यूनमधिकं कृतम !
तेन सर्वेण सर्वात्मा प्रसन्नोSस्तु सदा मम !!
Method of reciting Vakratunda Stuti वक्रतुंड स्तुति का पाठ करने की विधि
पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। यह आपके मन और शरीर को शुद्ध करेगा।
एक स्वच्छ स्थान चुनें, जहां आप भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र रख सकें।
पूजा के लिए फल, मिठाई, फूल, दीपक,धूप का इस्तेमाल करें।
पूजा करते समय दीपक जलाएं और धूप करें। इससे वातावरण पवित्र होगा।
गणेश जी की मूर्ति के सामने बैठकर ध्यान करें और इस स्तुति का पाठ करें।
पाठ के बाद भगवान गणेश से प्रार्थना करें कि वे आपके सभी विघ्नों को दूर करें और आपके जीवन में सुख और समृद्धि लाएं।
गणेश जी को अर्पित किए गए भोग को बाद में परिवार के साथ बांटें।