Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Apr, 2023 09:15 AM
बर्मा के एक स्वतंत्रता सेनानी परिवार की 16 साल की एक लड़की ने एक दिन नेताजी का भाषण सुन लिया। उसके मन में देश प्रेम की ऐसी भावना जगी कि उसने आजाद हिन्द फौज में
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Story of Freedom Fighter Saraswathi rajamani: बर्मा के एक स्वतंत्रता सेनानी परिवार की 16 साल की एक लड़की ने एक दिन नेताजी का भाषण सुन लिया। उसके मन में देश प्रेम की ऐसी भावना जगी कि उसने आजाद हिन्द फौज में अपना योगदान देने की ठान ली। वह अपने सारे गहने लेकर आजाद हिन्द फौज को दान कर आई। नेताजी को पता चला कि 16 साल की किसी लड़की ने ये गहने दिए हैं तो वह उसके गहने लौटाने पहुंच गए।
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लड़की ने गहने वापस लेने से मना करते हुए कहा कि वह तो उनकी आजाद हिन्द फौज में भर्ती होना चाहती है। उसके जुनून को देखकर नेताजी ने उस लड़की और उसकी 4 सहेलियों को खुफिया विंग में बतौर युवा जासूस भर्ती कर लिया। उस साहसी और देशप्रेमी लड़की का नाम था सरस्वती राजमणि। सरस्वती ने अपनी सहेली दुर्गा के साथ मिलकर अंग्रेजों के कैम्प की जासूसी की और कई महत्वपूर्ण सूचनाएं आजाद हिन्द फौज तक पहुंचाईं। उसने भेष बदलकर ब्रिटिश कैम्पों और कम्पनी के अधिकारियों के घर में घरेलू सहायक का काम किया। धीरे-धीरे वह शत्रु के गढ़ में रहते हुए अंग्रेज सरकार की महत्वपूर्ण योजनाएं और सैन्य खुफिया सूचनाएं जुटाकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की फौज तक पहुंचाने के काम की अभ्यस्त हो गईं।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान राजमणि को कोलकाता में ब्रिटिश सैन्य अड्डे पर जासूसी के लिए भेजा गया। उनकी सूचनाएं आजाद हिन्द फौज के बहुत काम आईं। आजादी के बाद लम्बे समय तक वह चेन्नई के एक कमरे में अपार्टमैंट में अकेली रहती रहीं जो केवल नेताजी बोस की तस्वीरों से सजा था। वर्ष 2018 में उनकी मौत हो गई। सरस्वती राजमणि का जीवन सभी भारतीयों के लिए प्रेरणास्रोत है।