Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Dec, 2022 08:45 AM
Saraswati Mata Puja mantra: जन्म कुंडली में जब विद्या-बुद्धि के बाधक ग्रह-योगों की स्थिति बन रही हो, जैसे-पंचम भाव में पाप ग्रहों की स्थिति हो, पंचमेश नीचगत अथवा 6, 8, 12 वें भाव में हो, लग्न कुंडली का पंचमेश
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Saraswati Mata Puja mantra: जन्म कुंडली में जब विद्या-बुद्धि के बाधक ग्रह-योगों की स्थिति बन रही हो, जैसे-पंचम भाव में पाप ग्रहों की स्थिति हो, पंचमेश नीचगत अथवा 6, 8, 12 वें भाव में हो, लग्न कुंडली का पंचमेश नवमांश कुंडली में नीचगत या शत्रु क्षेत्रीय हो, विद्याकारक गुरु और बुद्धि प्रदाता बुध ग्रह नीचगत, शत्रुक्षेत्रीय या पाप ग्रह के प्रभाव में हो, तो मां सरस्वती के आह्वान एवं पूजन के फलस्वरूप पंचम भाव संबंधी शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
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रुद्रयामल ग्रंथ के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में जिस दिन मूल नक्षत्र शुरू हो, उस दिन देवी सरस्वती का आह्वान करने, पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में विसर्जन करने से उच्च शिक्षा और ज्ञान की प्राप्ति होती है। वैसे सरस्वती माता की पूजा आप कभी भी कर सकते हैं। सच्चे मन की की पूजा को देवी अवश्य सुनती हैं और भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।
Saraswati Puja Vidhi and Mantra यूं करें माता की पूजा
सरस्वती के आह्वान में गौरी- गणेशादिक देवताओं के पूजन सहित महासरस्वती को आमंत्रित करें।
Sarswati Mata Puja mantra: पूजन में दुर्गा सप्तशती के अध्याय 5 तथा 11 का पाठ करने के बाद, सिद्धि कुञ्जिका स्तोत्र का पाठ करें तथा ‘ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं ॐ सरस्वत्यै नम:’ मंत्र की कम से कम एक माला प्रतिदिन जप करें।
मां सरस्वती के हवन में पांचवें अध्याय के श्लोकों से आहुति दें तथा उक्त जपनीय मंत्र की भी 108 आहुतियां दें। बलिदान में नारियल के गोले को घी से भर कर पूर्णाहुति करें।