Saraswati puja 2024: मां सरस्वती की पूजा करते समय वास्तु के इन नियमों का रखें ध्यान

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Oct, 2024 03:02 PM

saraswati puja 2024

Shardiya navratri saraswati puja 2024: शारदीय नवरात्र में मां सरस्वती की पूजा करते समय वास्तु के कुछ महत्वपूर्ण नियमों का ध्यान रखना आवश्यक है, ताकि पूजा का वातावरण शुभता से भरा हो।

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Vastu Tips For Shardiya navratri saraswati puja 2024: शारदीय नवरात्र में मां सरस्वती की पूजा करते समय वास्तु के कुछ महत्वपूर्ण नियमों का ध्यान रखना आवश्यक है, ताकि पूजा का वातावरण शुभता से भरा हो। इन वास्तु नियमों का पालन करके न केवल पूजा का वातावरण सकारात्मक बनता है, बल्कि मां सरस्वती की कृपा भी अधिक प्रभावी रूप से प्राप्त होती है। इन सरल उपायों से आपकी साधना और पूजा में भी अधिक शक्ति और पॉजिटिविटी आएगी। यहां कुछ प्रमुख वास्तु नियम बताए जा रहे हैं:

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पूजा स्थान का चयन: पूजा के लिए उत्तरी या पूर्वी दिशा सबसे शुभ मानी जाती है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
स्वच्छता: पूजा स्थान को साफ और व्यवस्थित रखना चाहिए। गंदगी से दूर रहना जरूरी है।

मूर्ति या चित्र की स्थापना: मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र को इस प्रकार स्थापित करें कि वह हमेशा भक्तों के सामने रहे।
ऊंचाई: मूर्ति को जमीन से ऊंचाई पर रखें, ताकि पूजा करते समय आपको झुकना न पड़े।

पूजा सामग्री: मां सरस्वती की पूजा में सफेद वस्त्र और सफेद फूलों का उपयोग करें। सफेद रंग ज्ञान और शुद्धता का प्रतीक है।
शुद्ध सामग्री: सभी पूजा सामग्री शुद्ध और ताजा होनी चाहिए।

दीपक का स्थान: दीपक को दक्षिण दिशा में न रखें क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इसे हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में रखें।

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पूजा का समय: पूजा सुबह या दिन के समय करनी सबसे अच्छी होती है। विशेष रूप से ज्ञानवर्धक समय में पूजा करना लाभदायक होता है।

आसन और वस्त्र: पूजा करते समय सफेद या पीले रंग का आसन बिछाएं। यह रंग मां सरस्वती के साथ जुड़ा हुआ है।
साफ वस्त्र पहनें: पूजा के समय शुद्ध और साफ वस्त्र पहनना चाहिए।

नैवेद्य का स्थान: नैवेद्य (भोग) को उत्तरी दिशा में रखें। इससे मां सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है।

ध्यान और साधना:ध्यान और साधना के लिए एक शांत स्थान चुनें, जहां बाहरी ध्वनि और व्यवधान न हो।

जल का उपयोग: पूजा में उपयोग होने वाले जल का स्रोत ताजगी से भरा होना चाहिए।

फूल और पौधे: पूजा में ताजे फूलों का उपयोग करें। साथ ही, सूखे या मुरझाए फूलों का प्रयोग न करें।

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