Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Jun, 2023 10:40 AM
खराब भोजन, असमान वेतन, अंग्रेज अधिकारियों द्वारा अशोभनीय व्यवहार एवं नस्ली भेदभाव आदि कारणों से बंबई बंदरगाह के नौसैनिकों ने सन् 1946 में विद्रोही का झंडा ऊंचा कर दिया था।
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Sardar Vallabh Bhai Patel story: खराब भोजन, असमान वेतन, अंग्रेज अधिकारियों द्वारा अशोभनीय व्यवहार एवं नस्ली भेदभाव आदि कारणों से बंबई बंदरगाह के नौसैनिकों ने सन् 1946 में विद्रोही का झंडा ऊंचा कर दिया था। अंग्रेज अधिकारियों और भारतीय नौ-सैनिकों के बीच तनावपूर्ण स्थिति थी। दोनों पक्ष अपनी-अपनी मांगों पर अड़े हुए थे।
विद्रोह को धीरे-धीरे जन समर्थन भी मिलने लगा था। बहुत भयावह परिस्थितियां थीं। उन दिनों सरदार वल्लभभाई पटेल बम्बई का नेतृत्व कर रहे थे। किन्तु सरदार पर परिस्थिति का रंच-मात्र भी प्रभाव नहीं पड़ा था। न तो वे अधीर थे और न विचलित।
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बंबई के गवर्नर ने उन्हें बुलाया और काफी रौब दिखाया। इस पर सरदार ने शेर की तरह दहाड़ कर गवर्नर से कह दिया कि वह अपनी सरकार से पूछ लें कि अंग्रेज भारत से मित्रों के रूप में विदा होंगे या लाशों के रूप में।
अंग्रेज गवर्नर सरदार का रौद्र रूप देखकर कांप उठा। बाद में कुछ ऐसी परिस्थतियां बनीं कि बंबई प्रसंग में अंग्रेज सरकार को समझौता करना ही पड़ा और यह विद्रोह भारत की आजादी का तात्कालिक कारण बना।