Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Sep, 2024 04:05 PM
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Sarva Pitru Amavasya 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की अमावस्या तिथि 01 अक्टूबर 2024 को रात्रि 09 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 03 अक्टूबर 2024 को रात्रि 12 बजकर 18 मिनट पर होगा। पंचांग के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या बुधवार, 02...
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Sarva Pitru Amavasya 2024: शास्त्रों में सर्व पितृ अमावस्या Sarva Pitru Amavasya 2024 को ही खास और महत्वपूर्ण माना जाता है। सनातन धर्म में अमावस्या का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। वहीं अगर यह पितृ पक्ष के दौरान आए तो इसकी खासियत और भी बढ़ जाती है। सर्व पितृ अमावस्या Sarva Pitru Amavasya को महालया अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग के मुताबिक अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सर्व पितृ अमावस्या मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दौरान पितरों की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा घर-परिवार के सभी सदस्य पर बनी रहती है। इस साल सर्व पितृ अमावस्या की डेट को लेकर लोगों में कन्फ्यूजन बनी हुई है, तो आइए जानते हैं की सर्व पितृ अमावस्या की सही तिथि के बारे में-
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Sarva Pitru Amavasya 2024 Date And Time 1 या 2 अक्टूबर कब है सर्व पितृ अमावस्या
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की Sarva Pitru Amavasya सर्व पितृ अमावस्या तिथि 01 अक्टूबर 2024 को रात्रि 09 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 03 अक्टूबर 2024 को रात्रि 12 बजकर 18 मिनट पर होगा। पंचांग के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या बुधवार, 02 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
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Sarva Pitru Amavasya 2024 Tarpan Vidhi सर्व पितृ अमावस्या 2024 तर्पण करने की विधि
श्राद्ध करने वाला व्यक्ति सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें।
श्राद्ध करने के लिए एक पवित्र स्थान पर आसन बिछाएं और ब्राह्मणों को भोजन के लिए आमंत्रित करें।
पितरों का तर्पण करते समय दक्षिण दिशा की और मुख करें और तर्पण के लिए कुश, अक्षत, जौ और काले तिल का उपयोग करें।
उसके बाद चावल, जौ और तिल से बने पिंडों को पितरों को अर्पित करें।
पितरों की आत्मा की शांति के लिए पवित्र अग्नि में घी, तिल, जौ आदि की आहुति दें।
फिर श्राद्ध करने वाला व्यक्ति अपने पितरों का ध्यान करते हुए मंत्रों का उच्चारण करें।
अंत में श्राद्ध करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और अपनी श्रद्धा अनुसार दान-दक्षिणा करें।
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विशेष- पितृपक्ष के दौरान अपने पितरों का तर्पण करने के लिए किसी विद्वान जनेऊधारी पंडित की सलाह लें।
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