Edited By Jyoti,Updated: 13 Sep, 2022 04:13 PM
25 सितंबर दिन रविवार को सर्वपितृ अमावस्या के साथ पितृ पक्ष का समापन हो जाएगा। हिंदू धर्म की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार इस अमावस्या को पितृ विसर्जनी अमावस्या, महालय समापन, महालय विसर्जन और दर्श अमावस्या भी कहते हैं। तो वहीं आश्विन माह
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25 सितंबर दिन रविवार को सर्वपितृ अमावस्या के साथ पितृ पक्ष का समापन हो जाएगा। हिंदू धर्म की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार इस अमावस्या को पितृ विसर्जनी अमावस्या, महालय समापन, महालय विसर्जन और दर्श अमावस्या भी कहते हैं। तो वहीं आश्विन माह में आने के कारण इस अमावस्या को आश्विन अमावस्या भी कहा जाता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इस दिन तर्पण तथा पिंडदान केवल पिता के लिए ही नहीं बल्कि समस्त पूर्वजों एवं मृत परिजनों के लिए भी किया जाता है। इस दिन समस्त कुल, परिवार तथा ऐसे लोगों को भी जल दिया जाता है, जिन्हें जल देने वाला कोई न हो।
तो आइए इसी खास दिन के मद्देनजर आज जानते हैं सर्वपितृ अमावस्या से जुड़े 10 राज-
धार्मिक और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सर्वपित अमावस्या पितरों को विदा करने की अंतिम तिथि होती है। ऐसा कहा जाता है 15 दिन तक पितृ घर में विराजते हैं जिसके चलते लोग अपने पूर्वजों की सेवा करते हैं जिसके बाद सर्वपित अमावस्या के दिन इनकी विदाई की जाती है।
कहा जाता है कि जिन लोगों को अपने पितरों के बारे में जानकारी न या कह सकते हैं भूले-बिसरे पितरों का भी इसी दिन श्राद्ध करते हैं। अतः इस दिन श्राद्ध करना बेहद आवश्यक होता है।
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अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोग किसी न किसी कारण के चलते श्राद्ध तिथियों में अपने पितरों का श्राद्ध नहीं कर पाता तो बता दें ऐसे में सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध कर सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सभी पितर आपके द्वार पर उपस्थित पर होते हैं।
हिंदू धर्म के पुराणों के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या के दिन न केवल श्राद्ध आदि कार्य किए जाते बल्कि सर्वपितृ अमावस्या पर पितृ सूक्त्म पाठ, रुचि कृत पितृ स्तोत्र, पितृ गायत्री पाठ, पितृ कवच पाठ, पितृ देव चालीसा और आरती, गीता पाठ और गरुड़ पुराण का पाठ करने का अत्यधिक महत्व माना जाता है।
शास्त्र में एक श्लोक वर्णित है जो इस प्रकार है पुन्नामनरकात्म त्रायते इति पुत्रः। इस श्लोक का अर्थ है जो नरक से त्राण (रक्षा) करता है वहीं पुत्र है। इस दिन किया गया श्राद्ध पुत्र को पितृ दोषों से मुक्ति दिलाता है।