Edited By Prachi Sharma,Updated: 28 Sep, 2024 06:53 AM
हिंदू धर्म में शनिदेव को क्रूर व न्याय का देवता माना गया है। कहते हैं कि जिस पर शनिदेव मेहरबान हो जाएं। उसकी नैय्या पार हो जाती है वहीं जिन पर शनिदेव की कुदृष्टि होती है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Saturday Special: हिंदू धर्म में शनिदेव को क्रूर व न्याय का देवता माना गया है। कहते हैं कि जिस पर शनिदेव मेहरबान हो जाएं। उसकी नैय्या पार हो जाती है वहीं जिन पर शनिदेव की कुदृष्टि होती है। उसे न जाने जीवन में कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में शनिदेव की पूजा ही शनि की महादशा से मुक्ति पाने का मार्ग है इसलिए शास्त्रों में शनिदेव की पूजा को बहुत महत्व दिया गया है। लेकिन बता दें कि शनिदेव की पूजा के भी कुछ नियम है। जिनका पालन न करना आपको मुश्किलों में तो डालेगा ही। साथ ही आप शनिदेव के अशुभ प्रभावों से भी नहीं बच पाएंगे। तो ऐसे में आइए जानते हैं कि शनिदेव की पूजा में किन जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए-
सबसे पहली जरूरी बात बता दें कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिदेव की पूजा में कभी भी लाल रंग की सामग्री का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि शनिदेव को लाल रंग प्रिय नहीं है। इसकी खास वजह ये है कि लाल रंग मंगल और सूर्य का कारक है और मंगल व सूर्य शनिदेव के परम शत्रु है। इसलिए भूलकर भी शनिदेव की पूजा में लाल रंग की चीजों का इस्तेमाल न करें और न ही तांबे के बर्तनों का प्रयोग करें।
धार्मिक मान्यताएं कहती है कि शनिदेव जी को काला और नीला रंग अति प्रिय है इसलिए ही शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए काले तिल और उड़द दाल की खिचड़ी चढ़ाई जाती है। लेकिन कभी भी गलती से शनिदेव की पूजा में उनको सफेद तिल अर्पित न करें। क्योंकि सफेद तिल चढ़ाने व इस दिन इसका दान करने से शनिदेव की अशुभ छाया का प्रभाव बढ़ जाता है।
तो वही मान्यता है कि शनिदेव की कुदृष्टि अगर किसी भी पर पड़ जाए। तो उस व्यक्ति के सारे काम बिगड़ने लगते हैं। ऐसे में शनिदेव की पूजा के दौरान कभी भी उनकी आंखों में नहीं देखना चाहिए।
इसके अलावा जैसा कि सभी जानते हैं शनिदेव अपने पिता सूर्यदेव से शत्रुता का भाव रखते हैं। इसलिए शनि की पूजा सूर्यास्त के बाद ही करनी चाहिए।
बताते चलें कि शनिदेव की पूजा करते समय महिलाएं गलती से भी शनिदेव की मूर्ति को स्पर्श न करें। क्योंकि ऐसा करना आपको मुश्किल में डाल सकता है।
आखिर में बता दें कि शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए तेल का दीपक जलाया जाता है लेकिन सरसों के तेल का दिया जलाते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि शनि की प्रतिमा के सामने न जलाएं बल्कि मंदिर में मौजूद शनि देवता की शिला के सामने जलाएं।