Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Jan, 2025 11:40 AM

Satyam shivam sundaram: भगवान शिव भारतीय जीवन की ऊर्जा और रचनात्मक शक्ति के प्रतीक हैं। शिव भारत की धरती की संस्कृति में समाहित हैं। ‘सत्यम, शिवम्, सुंदरम्’ भारतीय संस्कृति का आदर्श है। सत्य ही शिव, शिव ही सुंदर हैं। शिव स्वास्थ्यप्रद औषधियों के परम...
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Satyam shivam sundaram: भगवान शिव भारतीय जीवन की ऊर्जा और रचनात्मक शक्ति के प्रतीक हैं। शिव भारत की धरती की संस्कृति में समाहित हैं। ‘सत्यम, शिवम्, सुंदरम्’ भारतीय संस्कृति का आदर्श है। सत्य ही शिव, शिव ही सुंदर हैं। शिव स्वास्थ्यप्रद औषधियों के परम ज्ञाता, ज्ञान, योग, विद्या, व्याख्यान तथा सभी शास्त्रों में पारंगत होने के साथ ही कुशल नर्तक तथा प्रवर्तक भी हैं।
सर्व प्रकार के वाद्य बजाने में कुशल होने से शिव सर्व तूर्य निनादी भी हैं। तांडव प्रलय का सूचक है और वह पुनर्निर्माण के प्रतीक हैं। तृतीय नेत्र के निकट चंद्रमा होने से शिव चंद्रमौलि हैं। त्रिनेत्रधारी शिव त्र्यंबक हैं।
संसार के सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में शिव रुद्र नाम से पूजे जाते हैं। देवाधिदेव रुद्र रूप शिव अत्यंत शक्तिशाली, विशालकाय, द्रुतगामी व कल्याणकारी होने के साथ ही भयंकर भी हैं।
शिव विध्वंसक भी हैं। यद्यपि हिन्दुओं की देवत्रयी में शिव विध्वंस के देवता हैं परंतु समय-समय पर उन्होंने संसार को संकटों से मुक्त भी किया है।
शिव सर्वव्यापी परब्रह्म, सर्वेश्वर और महाकालेश्वर हैं। शिव का डमरू आकाश का, सर्प वायु का, गंगा जल की, त्रिशूल पृथ्वी का, तृतीय नेत्र अग्नि एवं ज्ञान का, वृषभ धर्म का, चंद्रमा संत और नीलकंठ त्याग का प्रतीक है।

शिव की उपासना भारतीय कला और संस्कृति के प्रतीक रूप में दीर्घकाल से होती आ रही है। शिव ने देश को एक सूत्र में पिरोया है। त्रिलोकी नाथ शिव आशुतोष हैं, शिव औघड़दानी हैं। योगेश्वर हैं शिव। पर्वतराज हिमालय की कन्या पार्वती शिव की अर्धांगिनी हैं। पार्वती सुख सुहाग की वरदात्री हैं। आदि शंकराचार्य जी और संत तुलसी दास जी ने शिव जी और विष्णु जी को एक ही ईश्वर के रूप में स्मरण किया है। वहीं रामचरित मानस में भगवान श्रीराम घोषणा करते हैं :
शिव द्रोही मम दास कहावा, सो नर मोहि सपने हूं नहिं भावा।
अर्थात: जो शिव का द्रोह कर मुझे प्राप्त करना चाहता है, वह सपने में भी मुझे प्राप्त नहीं कर सकता।
