Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Jul, 2024 10:56 AM
सर्वशक्तिमान परमपिता परमात्मा एक हैं परंतु उनके रुप अनेक हैं। भगवान शिव की शक्ति अपरम्पार है। वह सदा ही कल्याण करते हैं। वह विभिन्न रुपों में संसार का संचालन करते हैं। सच्चिदानंद शिव एक हैं,
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Sawan ka mahina: सर्वशक्तिमान परमपिता परमात्मा एक हैं परंतु उनके रुप अनेक हैं। भगवान शिव की शक्ति अपरम्पार है। वह सदा ही कल्याण करते हैं। वह विभिन्न रुपों में संसार का संचालन करते हैं। सच्चिदानंद शिव एक हैं, वे गुणातीत हैं और गुणमय हैं। एक ओर जहां ब्रह्म रुप में वह सृष्टि की उत्पत्ति करते हैं, वहीं विष्णु रुप में सृष्टि का पालन करते हैं तथा शिव रुप में वह सृष्टि का संहार भी करते हैं। भक्तजन अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान शिव की उपासना करते हैं तथा शिवलिंग का पूजन करते हैं। शिवलिंग भगवान शिव का ही रुद्ररुप है जिसका विभिन्न वस्तुओं से अभिषेक किया जाता है।
शास्त्रों में संक्रांति की अत्यधिक महिमा है क्योंकि इस दिन से ही देसी महीना शुरु होता है। हालांकि बहुत से लोग एकादशी से एकादशी, पूर्णिमा से पूर्णिमा तथा संक्रांति से संक्रान्ति तक पूरा महीना व्रत, उपाय आदि शुभ कार्य करने शुरु कर देते हैं। श्रावण मास की संक्रांति से धार्मिक कार्यों को करने का संकल्प करके जहां भक्तजन अपना कर्म शुरु करते हैं। वहीं पूर्णिमा से पूर्णिमा तक सावन मास की शुरुआत करके कर्म करने वाले आषाढ़ी पूर्णिमा से भी रुद्राभिषेक करके अपने जीवन में सभी प्रकार की खुशियां प्राप्त कर सकते हैं।
मोक्ष और विद्या प्राप्ति के लिए करें शिव उपासना
भगवान शिव के अनेक नामों में एक नाम आशुतोष भी है, जिसका अर्थ है अति शीघ्र एवं सरलता से प्रसन्न होने वाले। उन्होंने समुद्र मंथन पर निकले विष को देवताओं की थोड़ी सी विनती करने पर ही स्वीकार कर लिया था। वह इतने भोले हैं कि उन्होंने सांप- बिच्छुओं आदि को तो अपने आभूषण बनाकर शरीर पर सजाकर उन्हें अभयदान दे रखा है फिर भी विद्यार्थी विद्या की प्राप्ति और संसार के लोग मोक्ष की प्राप्ति के लिए आशुतोष जी महाराज का पूजन करते हैं।
‘शिव’ आराधना के लाभ
भगवान शिव चूंकि वैद्यनाथ हैं, अत: उनका ध्यान करने से साधक रोगमुक्त होता है।
शिव साधना से मनुष्य को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता मिलती है।
भोले भंडारी शिव शक्ति पुंज हैं। अत: उनकी पूजा करने से मनुष्य को अद्भुत ऊर्जा, बल एवं साहस की अनुभूति होती है।
भगवान शिव मृत्युंजय हैं। अत: उनकी आराधना हमें अकाल मृत्यु से बचाती है।
शिव गृहस्थ जीवन के आदर्श हैं जो अनासक्त रहते हुए भी पूर्ण गृहस्थ स्वरूप हैं। उनकी आराधना से गृहस्थ जीवन सुखमय बनता है।
देवाधिदेव महादेव कुबेर के अधिपति हैं। अत: लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इनकी आराधना का विशेष महत्व है।
शिव सौभाग्यदायक हैं। अत: इनकी आराधना करने से हर तरह के मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।