Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Jul, 2024 11:15 AM
हमारे सनातन शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव को अति प्रिय श्रावण मास विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना एवं उपासना को समर्पित है। इस पावन
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Sawan 2024 Upay: हमारे सनातन शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव को अति प्रिय श्रावण मास विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना एवं उपासना को समर्पित है। इस पावन अवसर पर भगवान शिव की आराधना से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति एवं समस्त व्याधियों का नाश होता है। इस बार श्रावण मास 4 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है। श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना जलाभिषेक अथवा रुद्राभिषेक द्वारा विशेष रूप से कल्याणकारी मानी गई है। श्रावण मास में ही देवता और असुरों द्वारा समुद्र मंथन किया गया था, जिसमें निकले हलाहल विष से सृष्टि का विनाश निश्चित था, भगवान शिव ने स्वयं उसे अपने कंठ में धारण कर लिया था।
इसलिए इन्हें नीलकंठ महादेव भी कहा जाता है। देवताओं ने विष का वेग कम करने के लिए भगवान शिव पर जल का अभिषेक किया था। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव स्वयं ही जल हैं, इसलिए पवित्र गंगाजल के अभिषेक के रूप में शिव की आराधना उत्तम फल प्रदान करने वाली है।
श्रावण मास में सोमवार का व्रत विशेष रूप से लाभकारी माना गया है। हमारे मनीषियों ने भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए पंचाक्षर मंत्र ‘ओम नम: शिवाय’ का शारीरिक एवं मानसिक पवित्रता के साथ जाप का विशेष रूप से विधान किया है। महाशिवपुराण की कथा का श्रवण, रूद्र अष्टाध्यायी का पाठ मनुष्य के आत्मिक उत्थान का मार्ग प्रशस्त करता है।
श्रावण मास जनमानस में एक नई आध्यात्मिक चेतना का संचार करता है। हरियाली तीज, रक्षाबंधन, नाग पंचमी, श्रावण पूर्णिमा, ये सभी श्रावण मास के पर्व मनुष्य के अंतःकरण में सांस्कृतिक एकता एवं धार्मिकता का संचार करते हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंगों एवं समस्त शिवालयों में शिव जी का अभिषेक प्रत्येक शिव भक्त के हृदय को पावन करता है।
एकाग्रता, पवित्रता एवं संयम के साथ श्रावण मास में शिव की आराधना अकाल मृत्यु एवं मानसिक तथा शारीरिक व्याधियों को नष्ट करने वाली है। महामृत्युंजय मंत्र से शिव की भक्ति विशेष रूप से प्रभावी मानी गई है। मार्कंडेय ऋषि ने श्रावण मास में ही शिव जी की घोर तपस्या की जिससे शिव जी ने प्रसन्न होकर उन पर दीर्घायु होने की कृपा दृष्टि की थी।
श्रावण मास में जलधारा के माध्यम से प्रकृति जिस प्रकार धरती का अभिषेक करती है, उसी प्रकार प्रत्येक शिव भक्त आस्था और उपासना में मग्न होकर पावन जल से भगवान शिव का अभिषेक करता है। महाभारत में बताया गया है कि इस पवित्र श्रावण मास में जो व्यक्ति संयम, नियमपूर्वक भक्ति भाव से प्रतिदिन भगवान शंकर का आराधन करता है, वह स्वयं भी पूजनीय हो जाता है तथा कुल की वृद्धि करते हुए यश एवं गौरव प्राप्त करता है।
हमारे वैदिक ग्रंथों में भी सावन मास को शास्त्रों के श्रवण, मनन एवं स्वाध्याय का समय माना गया है, जिससे मनुष्य के मन में ज्ञान का संचार होता है। श्रेष्ठ ग्रंथों के श्रवण एवं आचरण करने से अंत:करण तथा मन में व्याप्त समस्त व्याधियों तथा रोगों का नाश हो जाता है। ज्ञान का अभिषेक जब मनुष्य के मन पर होता है तो उसका मन शांत, पवित्र तथा एकाग्र चित्त हो जाता है। इस प्रकार यह श्रावण मास मनुष्य को मानसिक तथा आत्मिक रूप से जागृत होने की तथा कण-कण में व्याप्त शिव तत्व को आत्मसात करने की प्रेरणा देता है।