Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 Jun, 2024 05:24 PM
हिन्दू धर्म सबसे प्राचीन धर्म है। इसे सबसे व्यावहारिक सिद्धांतों वालों धर्म कहा जाता है। यह अध्यात्म के साथ-साथ प्रकृति के भी नजदीक है। तभी तो पेड़-पौधों को
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Secret of the vehicles of Gods and Goddesses: हिन्दू धर्म सबसे प्राचीन धर्म है। इसे सबसे व्यावहारिक सिद्धांतों वालों धर्म कहा जाता है। यह अध्यात्म के साथ-साथ प्रकृति के भी नजदीक है। तभी तो पेड़-पौधों को भी देवी-देवताओं के रूप में पूजा जाता है। सनातन धर्म में देवी-देवताओं को विभिन्न श्रेणियों में भी बांटा गया है और उसी के मुताबिक उनके वाहन भी हैं। पशु- पक्षियों को दैवीय शक्तियों के साथ जोड़ना उन्हें हिंसा से बचाने का काम भी करता है। इसके पीछे कई कारण मौजूद हैं। देवी-देवताओं को पशु-पक्षियों के साथ उनकी रक्षा के लिए जोड़ा गया है। अगर ऐसा न होता तो मनुष्य पशु-पक्षियों के प्रति क्रूर हो जाता। शाकाहार से अधिक मांसाहार को प्राथमिकता दी जाती। आइए जानते हैं, कौन से देवी-देवता किस वाहन पर होते हैं सवार ?
Lord Ganesha's vehicle गणेश जी का वाहन
गणेश जी का वाहन मूषक है। मूषक शब्द संस्कृत के मूष शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है लूटना या चुराना। यह संकेत स्वार्थी होने का सूचक है। गणेश जी मूषक की सवारी इसलिए करते हैं क्योंकि उन्होंने स्वार्थ और लालच पर विजय हासिल की है।
Lord shiva vehicle भगवान शिव का वाहन
भगवान शिव के वाहनों में नंदी उनके सबसे प्रिय गणों में से एक हैं। शास्त्रों में नंदी को बहुत ही श्रेष्ठ माना गया है। बैल स्वभाव बहुत ही शांत प्रवृत्ति के होते हैं लेकिन जब इन्हें गुस्सा आता है तो यह शेर से भी भिड़ जाते हैं। शिव जी का भी स्वभाव कुछ ऐसा ही है। लोक मान्यता है की बैल जिस्मानी इच्छाओं से दूर रहने वाला प्राणी है।
Mata Parvati's vehicle माता पार्वती का वाहन
माता पार्वती की सवारी बाघ है, बाघ को साहस और शौर्य का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार माता पार्वती जंगल में तपस्या कर रही थी। एक बाघ उन्हें खाने के लिए आया लेकिन उन्हें देखकर वो उनके पास बैठ गया। मां सालों तक तपस्या करती रही और वह बाघ भी वहीं पर बैठा रहा। वह जब अपनी तपस्या पूरी करके उठी तो उन्हें इस बात का पता चला। बाघ की श्रद्धा से खुश होकर माता ने उसे अपना वाहन बना लिया।
Shri krishna vehicle श्री कृष्ण का वाहन
श्री कृष्ण को बचपन से ही गायों से काफी प्रेम रहा है इसलिए उन्हें गोपाल भी कहा जाता है। उनकी लगभग हर तस्वीर में गाय माता को उनके आसपास देखा जा सकता है। श्री कृष्ण की कोई भी तस्वीर गायों के बिना अधूरी मानी जाती है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि गायों के बिना वह पूर्ण नहीं होते। शायद इसके पीछे भारत के गांव की झलक दिखाने का लक्ष्य होगा।
Yamraj's vehicle यमराज का वाहन
यमराज का वाहन भैंसा माना जाता है। जैसे भैंस को बहुत ही भयानक समझा जाता है, उसी तरह यमराज को भी बहुत भयानक माना गया है। उसकी एक खास बात यह भी है कि वह मुसीबत पड़ने पर ही किसी पर हमला करते हैं, वरना इनका स्वभाव बहुत ही शांतिप्रिय होता है। भैंस को एकता का प्रतीक भी कहा गया है।
Vehicle of saturn शनि का वाहन
शनिदेव की वैसे तो बहुत सारी सवारियां हैं पर उनमें से सबसे ज्यादा उन्हें कौवा पसंद है। कौए स्वभाव से बहुत बुद्धिमान होते हैं। कौए की मौत कभी भी किसी बीमारी से नहीं होती। इसकी मृत्यु इत्तेफाक से होती है। कौए को भविष्य में घटने वाली चीजों का पहले से ही पता लग जाता है। इन्हें पितरों का प्रतीक भी कहा जाता है।