Edited By Prachi Sharma,Updated: 09 Jul, 2024 01:09 PM
हिंदू धर्म में ऐसे बहुत से नियम बताए गए हैं जिनका पालन कर लिया जाए तो जीवन खुशहाल बन जाता है। चाहे फिर वो पूजा करना हो या फिर भोजन करना, शास्त्रों में हर किसी के अलग-अलग नियम बताए गए हैं। जैसे
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Serving Food In Dark: हिंदू धर्म में ऐसे बहुत से नियम बताए गए हैं जिनका पालन कर लिया जाए तो जीवन खुशहाल बन जाता है। चाहे फिर वो पूजा करना हो या फिर भोजन करना, शास्त्रों में हर किसी के अलग-अलग नियम बताए गए हैं। जैसे कि भोजन हमेशा शांत और सुखी मन से करना चाहिए तभी उसका असर होता है। भोजन को शुरू करने से पहले कुछ मंत्रों का जाप भी करना चाहिए। ऐसा करने से मन में सकारात्मकता बनी रहती है। ऐसे ही कुछ नियम शास्त्रों में बताए गए हैं, जिनका पालन अगर न किया जाए तो जीवन में कुछ अनचाही घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है। इसी में से एक नियम है कि अंधेरे में भोजन नहीं करना चाहिए। अब आप सोच रहे होंगे ऐसा क्यों ? तो चलिए इस आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने की मनाही क्यों होती है।
भोजन हमारा पेट भरने के साथ-साथ हमें ऊर्जा प्रदान करने का भी काम करती है। सच्चे और साफ़ मन से किया गया भोजन हमारे जीवन को हमेशा ऊर्जावान बनाए रखता है। तभी तो कहा जाता है कि भोजन हमेशा शांत रह कर करना चाहिए। ऐसा करने से तन और मन दोनों ही स्वस्थ रहते हैं। शास्त्रों के अनुसार यदि हम अँधेरे में भोजन करते हैं तो हमारे तन पर उल्टा असर पड़ता है। अंधेरे को हमेशा से ही नकारात्मक शक्तियों का प्रतीक माना जाता है। इस वजह से ऐसा करने की मनाही होती है।
दूसरी वजह ये भी है कि जब भी अंधेरे में खा रहे होते हैं तो हम सही से उस भोजन की गुणवत्ता का पता नहीं कर पते हैं। सही तरीके से भोजन करने के लिए मन का सचेत होना बहुत ही आवश्यक है।
Concentration gets disrupted एकाग्रता हो जाती है भंग
खाने को हमेशा एकग्रता के साथ ही करना चाहिए। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपके तन और मन का संतुलन थोड़ा बिगड़ सकता है। रौशनी में भोजन करने से मन और शरीर दोनों संतुष्ट हो जाते हैं।
प्रकाश हमेशा से सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और अधेरा नकारात्मक ऊर्जा को दर्शाता है। इस वजह से अंधेरे में भोजन करने की मनाही होती है।