Edited By Prachi Sharma,Updated: 03 Mar, 2024 08:32 AM
पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शबरी जयंती मनाई जाती है और ये पर्व आज 3 मार्च को मनाया जा रहा है। आज के दिन माता शबरी की पूजा करने का
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Shabari Jayanti 2024: पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शबरी जयंती मनाई जाती है और ये पर्व आज 3 मार्च को मनाया जा रहा है। आज के दिन माता शबरी की पूजा करने का विधान है। मां शबरी को श्री राम के परम भक्तों में से एक माना जाता है। जो व्यक्ति सच्चे दिल से माता शबरी की पूजा करता है उसे भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त होता है। रामायण, रामचरितमानस आदि में माता शबरी की कथा का उल्लेख देखने को मिलता है। इस दिन कुछ लोग रामायण का पाठ कर के भगवान राम को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। तो चलिए जानते हैं आज का शुभ मुहूर्त और कौन थी माता शबरी।
Auspicious time of Shabari Jayanti शबरी जयंती का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार सप्तमी तिथि की शुरुआत मार्च 02, 2024 को सुबह 7:53 बजे से होगी और 3 मार्च सुबह 8:44 बजे इसका समापन हो जाएगा। उदयातिथि के अनुसार ये व्रत 3 मार्च यानि आज रखा जाएगा।
Who was Mata Shabari कौन थीं माता शबरी
किवदिंतियों और कथाओं के अनुसार माता शबरी भगवान श्री राम की परम भक्त थी। माता शबरी का असल नाम श्रमणा था। इनका संबंध भील समुदाय के साथ इस वजह से इनका नाम शबरी पड़ गया। विवाह योग्य होने पर इनके पिता ने माता शबरी का विवाह एक भील कुमार से तय किया था। उस समय में परम्परा के अनुसार सौ पशुओं की बलि देने का विधान था। इस तरह की परंपरा को देख कर श्रवणा का मन व्याकुल हो उठा और इसको रोकने का प्रयास किया और विवाह से इंकार कर दिया और वन में चली आईं।
दंडकारण्य वन में मातंग ऋषि तपस्या किया करते थे। माता शबरी उनकी पूजा करना चाहती थी लेकिन भील जाती से होने के कारण उन्हें लगता था कि शायद उन्हें इसकी इजाजत न मिले। इस वजह से वो रोज सुबह छुप के उनके नदी की तरफ जाने वाले रास्ते को साफ़ कर दिया करती थीं। एक दिन ऋषिश्रेष्ठ ने उन्हें देख लिया। ये देखकर उनका मन बहुत खुश हुआ और शबरी को अपने आश्रम में रहने की आज्ञा दे दी। इसके बाद ऋषि ने शबरी से कहा कि वो यहां रह कर ही श्री राम की प्रतीक्षा करें। वे एक दिन जरूर आएँगे। इसके बाद माता शबरी का एक-एक पल श्री राम की प्रतीक्षा में बीतने लगा। वे रोज उस रास्ते को साफ़ करती और भगवान राम के लिए मीठे बेर तोड़ के लातीं। एक भी बेर खराब या खट्टा न निकल जाए इस वजह वो रोज एक-एक चखकर रखती थी। ऐसा करते-करते बहुत से वर्ष बीत गए।
एक बार उन्हें किसी से पता चला कि कोई दो युवक उन्हें ढूंढ रहे हैं और वो समझ गईं कि उनके प्रभु आए हैं। बहुत वृद्ध होने के बावजूद भी ये ख़राब सुनने के बाद उनका शरीर तंदुरुस्त हो गया। इसके बाद श्री राम ने उनके झूठे बेर खा के उनका उद्धार कर दिया। शबरी जयंती का यह पर्व भक्ति और प्रेम को समर्पित होता है।
आज के दिन ये कथा जो व्यक्ति पढ़ता या सुनता है उसका जीवन जन्म-जन्मांतर के लिए पाप-मुक्त हो जाता है।