Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Jan, 2023 07:21 AM
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित अंबा देवी मंदिर में जगत जननी का पौष माह की पूर्णिमा पर अद्भुत श्रृंगार किया जाता है। साल में केवल एक बार मां को इस खूबसूरत रुप में सजाया जाता है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Shakambhari Mandir in Raipur: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित अंबा देवी मंदिर में जगत जननी का पौष माह की पूर्णिमा पर अद्भुत श्रृंगार किया जाता है। साल में केवल एक बार मां को इस खूबसूरत रुप में सजाया जाता है। इस मंदिर में मां अंबा देवी की प्रतिमा को मां शाकंभरी देवी के रूप में हरी सब्जियों से सजाया जाता है। इस बार पौष पूर्णिमा 6 जनवरी को पड़ रही है यानि आज। आज के दिन माता को सब्जियों का भोग लगाया जाएगा, इसी के साथ सब्जियों से भव्य शृंगार भी होगा। मां के मनमोहक रूप को देखने के लिए श्रद्धालु बहुत दूर-दूर से आते हैं। यहां पर भक्त माता को कच्ची सब्जियों का भोग चढ़ाते हैं। पौष पूर्णिमा से अगले दिन जिन सब्जियों से माता का शृंगार होता है, उसी को प्रशाद के रुप में भक्तों को बांट दिया जाता है। लगभग 50 साल से इस परंपरा का निर्वाह किया जा रहा है।
1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें
Shakambhari Festival शाकंभरी उत्सव: शाकंभरी पर्व को 8 दिन तक मनाया जाता है। पौष मास के शुक्ल पक्ष से इस पर्व का प्रारंभ हो जाता है और पूर्णिमा तक इसे मनाया जाता है। आखिरी दिन माता का शृंगार किया जाता है।
Mother On Lotus Flower कमल फूल पर मां: जगत जननी की अवतार मां शाकंभरी का रूप बड़ा ही मनमोहक है। इनका वर्ण नीला है और नीले ही इनके नेत्र हैं। कमल पुष्प पर माता विराजती हैं। शांकभरी मां को 100 आंखों वाली देवी भी कहा जाता है। जब मां शाकंभरी का प्राकट्य हुआ था तो देवी के 100 नेत्रों से चारों और हरियाली छा गई थी। मां देवी के शरीर से पैदा हुए शाक से धरती का पालन-पोषण हुआ।
Glory of Shakambhari Maa शाकंभरी मां की महिमा: कथाओं के अनुसार भूलोक पर एक दैत्य ने बहुत ही तहलका मचा रखा था। जिसकी वजह से 100 साल से बारिश नहीं हुई थी। चारों तरफ हाहाकार मचा था। उस दैत्य ने सारे वेदों को चुरा लिया। तब माता ने इस दैत्य का वध करने के लिए शाकम्भरी देवी का अवतार लिया था।