Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Apr, 2023 10:24 AM
जब भी आपने किसी के घर में स्थित मंदिर में ध्यान दिया होगा तो पाया होगा वहां पर देवी मां की मूर्ती से लेकर शिवलिंग, हनुमान जी, श्रीराम दरबार या लगभग सभी देवी-देवताओं इत्यादि की प्रतिमाएं या तस्वीरें देखने को मिल जाएंगी। अगर
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Shani dev idol: जब भी आपने किसी के घर में स्थित मंदिर में ध्यान दिया होगा तो पाया होगा वहां पर देवी मां की मूर्ती से लेकर शिवलिंग, हनुमान जी, श्रीराम दरबार या लगभग सभी देवी-देवताओं इत्यादि की प्रतिमाएं या तस्वीरें देखने को मिल जाएंगी। अगर नहीं मिलेगी तो सिर्फ शनिदेव की प्रतिमा या तस्वीर। जब बात शनिदेव की आती है तो अधिकतर लोग उनका नाम आते ही भयभीत हो जाते हैं। इसका कारण क्या हो सकता है ? क्या आपके मन में कभी यह स्वाल उत्पन्न नहीं हुआ ? तो आज हम जानते हैं कि ऐसा क्या कारण है, जिस वजह से शनि महाराज की तस्वीर या मूर्ती को घर में स्थापित नहीं किया जाता।
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इसके पीछ एक विशेष कारण है श्राप। हमारे सनातन धर्म की धार्मिक पवित्र ग्रंथों में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि शनि महाराज की पूजा आराधना कभी भी घर में स्थित पूजा स्थान पर नहीं की जायेगी। बल्कि बाहर कहीं मंदिर में ही इनकी पूजा की जायेगी। इसके पीछे का श्राप यह है कि उनकी वक्र दृष्टि जिस पर भी पड़ेगी, उसे उसके कर्मों के अनुसार फल की प्राप्ति शीघ्र हो जायेगी और अगर पाप कर्म किये हैं तो उसका फल अति शीघ्र प्राप्त होगा। इसी कारण शनिदेव की सीधी दृष्टि का प्रभाव हमारे जीवन पर न पड़े इसीलिये शनिदेव की प्रतीक प्रतिमा या तस्वीर को घर के पूजा स्थान में नहीं लगाया जाता।
अगर आप घर के बाहर स्थित मंदिर में शनिदेव के दर्शनों के लिये जब भी जाएं तो कभी भी उनकी आंखों में आंखें डालकर उनके दर्शन न करें। बल्कि सबसे पहले उनके पैरों की तरफ देखकर ही दर्शन करें। अगर आप घर में शनि महाराज की पूजा करना चाहते हैं तो सिर्फ मन में ही उनका ध्यान करके उनका स्मरण करें। शनिवार के दिन अगर आप शनि मंदिर में जाते हैं तो सूर्यास्त के बाद ही जाना चाहिए ताकि उनकी सकारात्मकता का पूर्ण प्रभाव आप पर पड़ सके। शनिदेव के साथ-साथ श्री हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए क्योंकि शनि महाराज कभी भी बजरंग बली के भक्तों से नाराज नहीं होते अपितु सदा हनुमंत भक्तों से प्रसन्नता का ही भाव रखते हैं।
शनि देव की पूजा करते समय दिशा का खास महात्म होता है। शनि देव पश्चिम दिशा के स्वामी हैं इसलिए उनकी पूजा करते वक्त आपका मुंह पश्चिम दिशा की तरफ होना चाहिए।
Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientist
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)