Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Jun, 2019 03:14 PM
शनि की साढ़ेसाती का नाम सुनकर ही जातक का हृदय भय से कांप उठता है क्योंकि ये अत्यधिक कष्टदायक होती है। शनि गोचर में परिभ्रमण करता हुआ जन्म राशि से द्वादश भाव में आता है तब वह वहां से अढ़ाई वर्ष
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शनि की साढ़ेसाती का नाम सुनकर ही जातक का हृदय भय से कांप उठता है क्योंकि ये अत्यधिक कष्टदायक होती है। शनि गोचर में परिभ्रमण करता हुआ जन्म राशि से द्वादश भाव में आता है तब वह वहां से अढ़ाई वर्ष तक निवास करता है फिर वह जन्म राशि में अढ़ाई वर्ष रहता है और पुन: जन्म राशि से द्वितीय भाव में अढ़ाई वर्ष की अवधि तक रहता है। इस तरह तीनों भावों में अढ़ाई-अढ़ाई वर्ष रहता है। अढ़ाई-अढ़ाई वर्ष तीन भावों का योग साढ़े सात वर्ष बनता है। इसी को शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है। कब और किन स्थितियों में जातक पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव होता है। आइए जानें-
जातक की जन्म राशि से द्वादश, प्रथम एवं द्वितीय भाव में गोचरवश जब शनि आता है उस समय शनि की साढ़ेसाती होती है। किस राशि पर शनि आए तो किस जन्म राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव होगा?
गोचरवश शनि जब मीन, मेष और वृष राशि पर रहता है तब मेष राशि वालों पर साढ़ेसाती का प्रभाव रहता है।
मेष, वृष और मिथुन राशि पर शनि गोचरवश हो तब वृष राशि वालों की साढ़ेसाती रहती है।
वृष, मिथुन एवं कर्क राशि पर शनि जब गोचरवश रहता है तब मिथुन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव रहता है।
मिथुन, कर्क और सिंह राशि पर जब शनि गोचरवश हो तब कर्क राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती रहती है।
गोचरवश शनि जब कर्क, सिंह और कन्या राशि पर रहता है तब सिंह राशि वालों की साढ़ेसाती रहती है।
सिंह, कन्या और तुला राशि पर शनि गोचरवश हो तब क्या राशि वाले जातकों को साढ़ेसाती के प्रभाव में जानें।
जब कन्या, तुला और वृश्चिक राशि पर शनि गोचरवश रहता है, तब तुला राशि वालों की साढ़ेसाती रहती है।
शनि गोचरवश तुला, वृश्चिक और धनु राशि पर रहता है, तब वृश्चिक राशि वालों की साढ़ेसाती रहती है।
जब मकर, कुंभ और मीन राशि पर शनि गोचरवश भ्रमण करता है, तब कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती रहती है।
कुंभ, मीन और मेष राशि पर जब शनि भ्रमण करता है तब मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती रहती है।