Shani ki Sadesati: 2025 से 2032 तक मेष राशि पर साढ़ेसाती जानें, शनि की साढ़ेसाती में क्या-क्या बदलेगा

Edited By Prachi Sharma,Updated: 19 Oct, 2024 08:42 AM

shani ki sadesati

दूसरे अध्याय में भगवान कृष्ण कहते हैं कि इंसान ही एक ऐसा प्राणी है इस धरती के ऊपर जो अपने पुराने जन्म के कर्म भी भोगता है और नए कर्म के द्वारा अपना भविष्य भी तय करता है

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Shani ki Sadesati: दूसरे अध्याय में भगवान कृष्ण कहते हैं कि इंसान ही एक ऐसा प्राणी है इस धरती के ऊपर जो अपने पुराने जन्म के कर्म भी भोगता है और नए कर्म के द्वारा अपना भविष्य भी तय करता है इसके अलावा इंसान के अलावा जितनी भी योनि है वह सारी भोग की योनि है यानी कि जानवर या पक्षी कोई भी नया कर्म नहीं कर सकते वो अपने पुराने जन्म का कर्म ही भोगते हैं और उनको उसका ही फल मिलता है उनके पास इतनी बुद्धि नहीं है कि वह अपना नया कर्म कर सके 

आपकी कुंडली में ज्योतिष के लिहाज से फिफ्थ हाउस पूर्व जन्मों का भाव होता है. किसी भी कुंडली को देखकर इसका अंदाजा लग सकता है कि पुराने जन्म आपके कैसे रहे होंगे और जब ग्रह फल करते हैं ? कुंडली में कोई भी ग्रह फल करता है तो वह आपके पुराने जन्म के फलों को नहीं काट सकता है। आपके जो इस जन्म के फल है या इस जन्म का जो आपने कर्म किया है उसके फल तो मिल सकते हैं लेकिन पुराने जन्म के फल को कोई ग्रह प्रभावित नहीं करता। खास तौर पर शनि जैसे ग्रह की जब बात आती है तो वह भी पुराने जन्म के फल आपके कर्म को नहीं काट सकते हैं। आज मेष राशि के जातकों की बात करेंगे। 

मेष राशि के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती आ रही है। मेष राशि एक ऐसी राशि होती है जिसके जातक या तो केतु के अश्विनी नक्षत्र के चार चरणों में पैदा होते हैं या भरनी नक्षत्र के चार चरणों में पैदा होते हैं। ये शुक्र का नक्षत्र है या कृतिका जो सूर्य का नक्षत्र है उसके पहले चरण में पैदा होते हैं। जो सूर्य के कृतिका नक्षत्र में पैदा हुए हैं उनको तो 50 साल की उम्र के बाद जाकर शनि की महादशा मिल जाती है। जो लोग अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में ही पैदा हो जाते हैं उनको लाइफ के लास्ट टाइम इसके बाद शनि की महादशा लगती है। जिंदगी में एक या दो बार लगभग दो बार तो शनि की साढ़ेसाती सबको आती है। यदि आपकी उम्र 60 के पास जाती है तो आपको दो बार साढ़े साती का सामना करना पड़ता है। मेष राशि के जातकों को साढ़े साती का सामना जरूर करना पड़ता है। महादशा सब जातकों को नहीं मिलती। सूर्य के नक्षत्र में जो पैदा हुए हैं उनको तो 50 साल के बाद मिल जाती है। यदि आप शुक्र के नक्षत्र में पैदा हो गए भरनी के दूसरे चरण में पैदा हो गए या पहले चरण में पैदा हो गए तो लाइफ के एंड में जाकर शनि की महादशा आती है। युवावस्था में जब आपका करियर पीक पे जा रहा होता है उस समय आपको शनि की महादशा नहीं मिलती  । 
 
मेष राशि एक फायरी साइन है, अग्नि तत्व की राशि है। लिहाजा शनि यहां पर आकर बहुत अच्छा फल नहीं करते। मेष राशि के ऊपर 29 मार्च 2025 को शनि की साढ़े शुरू हो जाएगी। सबसे पहले शनि आपके 12वें भाव में गोचर करेंगे तो तीसरी दृष्टि से आपके धन भाव को देखेंगे। यहां पर धन भाव प्रभावित हो जाएगा। 23 फरवरी 2028 तक ये पहला फेस है जब आपके लिए यहां पर शनि पहली ढैया में होंगे। यहां पर शनि जब होंगे तो धन भाव को प्रभावित करेंगे, कुटुंब भाव को प्रभावित करेंगे। कुटुंब भाव यदि आप मैरिड हैं तो यहां पर शनि आपके पारिवारिक माहौल में डिस्टरबेंस पैदा कर सकते हैं। धन की हानि हो सकती है। यह चीजें आपको थोड़ा सा ध्यान में रखनी पड़ेंगी। शनि यहां पर जब बारहवें बैठेंगे तो छठे भाव को देखेंगे सातवी दृष्टि से। छठा भाव आपका रोग, ऋण, शत्रु का भाव होता है इस अवधि में आपके खिलाफ कोई साजिश हो सकती है। कोई आपके खिलाफ कोर्ट केस हो सकता है, आपको कोई कहीं न कहीं फिजिकल दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। शनि चूंकि छठे भाव को देख रहे हैं जो ऋण का भी भाव है। इस अवधि में पैसा किसी को भी देने से बचिए, यहां पर आपको नुकसान हो सकता है। शनि जब 12वें भाव में रहते हैं तो दसवीं दृष्टि के साथ आपके भाग्य स्थान को देखते हैं। भाग्य स्थान पर शनि की दृष्टि का मतलब है कि भाग्य आपका मंद हो जाता है। आप कोई काम कर रहे हैं और वहां पर आपको सफलता मिलने में देरी होती है मंद कामी ग्रह का का मतलब है कि वो आपके कार्य को थोड़ा सा स्लो कर देते हैं। यहां पर आपको थोड़ी सी परेशानी हो सकती है। शनि 12वें भाव में बैठे हैं, 12वें के फल कर जाएंगे 12वां आपका खर्चे का भाव होता है, हॉस्पिटलाइजेशन का भाव होता है। 

शनि पहली ढैया में आपके लिए कुंडली के चार भावों को प्रभावित कर देंगे। 12वां, दूसरा भाव, छठा भाव और आपका नौवां भाव अब चंद्रमा के ऊपर से आएंगे। 23 फरवरी 2028 को यहां पर आएंगे और 17 अप्रैल 2030 तक आपके ऊपर शनि की दूसरी ढैया चलेगी। यानी कि शनि की साढ़े साथ का दूसरा फेस आपके ऊपर चलेगा। यह फेस ज्यादा खराब होता है यहां पर जब चंद्रमा के ऊपर से शनि आएंगे तो तीसरी दृष्टि से आपके तीसरे भाव को प्रभावित करेंगे। तीसरा भाव आपके छोटे भाई का होता है। वहां पर तालमेल में कमी आ सकती है। तीसरा भाव आपका डिटरमिनेशन, पराक्रम का भाव होता है। पराक्रम में कमी आ सकती है। आपको यहां पर सप्तम भाव को शनि देखेंगे सीधी दृष्टि से तो सप्तम भाव से संबंधित फल आपको परेशान कर सकते हैं। सप्तम आपके पार्टनर, बिजनेस पार्टनर का भी भाव होता है। यहां पर चीजें आपको थोड़ी सी डिस्टर्ब करती हुई नजर आ सकती हैं। पार्टनर की हेल्थ को लेकर इशू हो सकता है। यहां पर शनि आपके लिए सप्तम के फल भी खराब कर सकते हैं। चंद्रमा के ऊपर से गोचर करेंगे तो निश्चित तौर पर चंद्रमा को आपके प्रभावित करेंगे ही करेंगे। चंद्रमा को जब प्रभावित करते हैं तो आपको मानसिक तौर पर थोड़ी सी परेशानी होती है। यहां पर शनि की दशम दृष्टि आपके कारोबार के स्थान पर जाती है। यदि आप नौकरी करते हैं तो आप प्रभावित फील करेंगे। यदि आप कारोबार करते हैं वहां पर भी आपको उसके रिजल्ट थोड़े से स्लो होते हुए नजर आएंगे। 

यह फेस थोड़ा सा ज्यादा परेशान करता है क्योंकि कारोबार में स्थिति गड़बड़ होती है। चंद्रमा के ऊपर से शनि का प्रभाव है तो यहां पर आपको मानसिक तौर पर परेशानी होती है। कुंडली के चंद्रमा को प्रभावित करते हैं यानी कि आपकी राशि को पहले भाव को प्रभावित करते हैं। इसके बाद 17 अप्रैल 2030 को तीसरा फेज शुरू हो जाएगा ये चलेगा 31 मई 2032 तक 31 मई 2032 तक शनि की साढ़ेसाती आपके ऊपर रहेगी और इसके बाद खत्म हो जाएगी। जब शनि आपकी कुंडली में धन भाव में आएंगे तो निश्चित तौर पर यहां पर धन भाव के फल अच्छे नहीं होंगे। यहां पर जब शनि बैठेंगे तो तीसरी दृष्टि के साथ आपके फोर्थ हाउस को देखेंगे। फोर्थ हाउस आपका सुख स्थान होता है। फोर्थ हाउस से संबंधित फल आपके खराब कर सकते हैं। यहां पर शनि जब सेकंड हाउस में बैठते हैं तो सप्तम दृष्टि से आपके अष्टम भाव को देखते हैं। अष्टम भाव आपकी कुंडली में सडन लोस का भाव होता है। यह लंबी बीमारी का भाव है। यह कुंडली का सबसे खराब भाव कहा जाता है। यह आयु का भाव होता है शनि इसके कारक भी है। निश्चित तौर पर तीसरे भाव के खराब मिल सकते हैं। हालांकि तीसरी ढैया में कुछ चीजें पॉजिटिव भी होती हैं लेकिन जहां पर शनि की दृष्टि है वहां से संबंधित फल आपको खराब मिलते हैं।  जब धन भाव में बैठते हैं तो दसवीं दृष्टि के साथ आपके 11थ हाउस को देखते हैं। ये आपका आय, इच्छाओं, एलिवेशन का भाव होता है। ये तरक्की का भाव होता है तो यहां से संबंधित फल आपके डिले हो सकते हैं। यदि आपका कोई प्रमोशन पेंडिंग पड़ा होगा तो वहां पर आपको चीजें थोड़ी सी डिस्टर्ब होती हुई नजर आ सकती हैं। जब शनि तीसरे भाव में आए हैं तो शनि ने फोर्थ हाउस को प्रभावित किया है। जब शनि की साढ़ेसाती चलती है तो शनि पंचम भाव को छोड़कर कुंडली के सारे 11भावों को प्रभावित कर जाते हैं। 

यदि आपकी कुंडली में शनि की स्थिति खराब है। शनि छठे, आठवें, 12वें भाव में है। शनि अस्त स्थिति में है शनि राहु-केतु एक्सेस में है, मंगल से पीड़ित है, सूर्य से पीड़ित हैं तो आपको शनि की रेमेडीज जरूर करनी चाहिए-

ओम शनि शनिश्चराय नमः का जाप करें। 

शनिवार के दिन काली दाल उड़द का दान करें। 


नरेश कुमार
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