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D, ड, डे, डू नाम वालों से हटेगा शनि का साया, उपाय के साथ जानिए क्या-क्या बदलेगा

Edited By Sarita Thapa,Updated: 15 Feb, 2025 11:25 AM

आपका नाम  शब्द डी या हिंदी के डा डी डू डो से शुरू होता है, तो आपकी राशि जो है वह कर्क बनेगी। यह अश्लेषा नक्षत्र के शब्द हैं। इनके तहत आने वाले जितने भी जातक हैं या डी नाम के जितने भी जातक हैं। उनके ऊपर जो ढैया चल रही है, वह खत्म हो जाएगी।

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आपका नाम  शब्द डी या हिंदी के डा डी डू डो से शुरू होता है, तो आपकी राशि जो है वह कर्क बनेगी। यह अश्लेषा नक्षत्र के शब्द हैं। इनके तहत आने वाले जितने भी जातक हैं या डी नाम के जितने भी जातक हैं। उनके ऊपर जो ढैया चल रही है, वह खत्म हो जाएगी। अंग्रेजी के इस शब्द और हिंदी के इन शब्दों के नाम से जिनकी जिनका नाम शुरू होता है उनके लिए क्या हो रहा है शनि अष्टम में गोचर कर रहे हैं। अष्टम में जब शनि गोचर करते हैं तो आपके काम को डिस्टर्ब कर देते हैं। जितने भी कारोबारी इस नाम के हैं। उनको कारोबार के फ्रंट के ऊपर काफी दिक्कतें आ रही है। क्योंकि शनि अष्टम में है। तीसरी दृष्टि आपके दशम के ऊपर जा रही है, तो कारोबार में चीजें डिले हो रही हैं। कुछ शुरू करना चाहते हैं उसमें डिले हो जाता है। कहीं पर आपने माल भेजा है वहां से पेमेंट में डिले आ रहा है। कहीं पर आपका जो है, वो प्रभाव कम हो रहा है। कार्यस्थल पर आप अपनी पूरी जान लगा रहे हैं काम में लेकिन उसका क्रेडिट आपको नहीं मिल रहा। वहां पर यह चीजें डिस्टर्ब हो रही है। कर्क राशि के जातकों के लिए काम के फ्रंट के ऊपर थोड़ी सी राहत मिलती हुई नजर आएगी। 

कुछ लोग ऐसे हैं जिनको कुटुंब से समस्या या पारिवारिक समस्या आ रही है क्योंकि शनि दूसरे भाव को देख रहे हैं। यह धन भाव भी होता है। यहां से धन की हानि भी हो रही है क्योंकि कारोबार में दिक्कत है, तो निश्चित तौर पर धन के ऊपर प्रभाव इसका आता है। कुछ लोगों को ऐसी भी समस्या हो रही है कि ईटिंग हैबिट्स बिगड़ गई। इस गोचर के दौरान वो थोड़ी सी सेट होती हुई नजर आएंगी। अब शनि जैसे ही आगे निकलेंगे तो आपका सेकंड हाउस थोड़ा सा राहत में आएगा। सेकंड हाउस आपकी ईटिंग हैबिट, धन भाव और कुटुंब का भाव होता है। यदि हम मेडिकल एस्ट्रोलॉजी के पर्सपेक्टिव से देखें तो दांत का विचार और आपकी राइट आई का विचार यहां से किया जाता है। बॉडी के हिसाब से देखें तो यहां पर दिक्कतें आ रही है। प्रॉब्लम जो है, वो कम होगी। 

शनि अष्टम से गोचर कर रहे हैं कुछ लोगों को लोअर बैक का इशू होगा। कुछ लोगों को यन यूरिनल इशू आया होगा। जब शनि आगे निकल जाएंगे तो वो सारी चीजों से थोड़ी सी जो है वो राहत उससे मिलती हुई नजर आएगी। शनि वैसे भी इस नाम के जितने भी जातक हैं। उनके लिए मार्क स्थानों के स्वामी हो जाते हैं। ये अच्छे भावों के स्वामी नहीं होते। अपनी दिशाओं में भी शनि इन नाम के जातकों के लिए अच्छा फल नहीं करते। शनि जब यहां पर बैठते हैं, तो फिफ्थ को देखते हैं क्योंकि अच्छे गोचर में नहीं है। अष्टम में है, तो फिफ्थ को प्रभावित कर गए। फिफ्थ आपका बुद्धि विवेक होता है। कुछ फैसले आपने पिछले दो ढाई साल में ऐसे किए हैं जिसका शायद आपको आज भी अफसोस हो रहा होगा क्योंकि बुद्धि विवेक का भाव है। वह शनि के प्रभाव में था। ग्रह कुछ नहीं करता यह आपकी बुद्धि भ्रष्ट कर देते हैं। जब बुद्धि भ्रष्ट होती है या हमारा समय सही नहीं होता तो हम ऐसे फैसले ले जाते हैं। जिसके लिए हमें बाद में पछतावा होता है। यहां जो फिफ्थ हाउस के ऊपर शनि की दृष्टि है। कुछ जातकों के लिए ऐसी भी स्थिति पैदा हुई कि गलत फैसले लिए गए और इंटेंशनली नहीं लिए गए। क्योंकि ग्रह की स्थिति ऐसी थी कि उसमें फैसले कुछ हो गए तो वो चीजें अब थोड़ी सी आगे जाकर नहीं होंगी। संतान पक्ष से आपको अच्छी खबरें सुनने को मिल सकती है।  जो संतान के लिए कोशिश कर रहे हैं,  वहां पर चीजें हो सकता है कि थोड़ी सी अब बेटर होनी शुरू हो जाए। ये सारी चीजें जो हैं, इस नाम के जो जातक हैं या अंग्रेजी के अ शब्द से जिनका नाम शुरू होता है। उनको यह सारी चीजें का आगे जाकर सामना करना पड़ रहा है वह अब आगे जाकर नहीं होंगी क्योंकि ढैया के प्रभाव से यह जातक निकल जाएंगे। 

यदि आपकी कुंडली में शनि की पोजीशन ठीक नहीं है, तो आपको निश्चित तौर पर शनि के उपाय जरूर करने चाहिए क्योंकि शनि आपके लिए मार्ग स्थानों के स्वामी होते हैं। मार्ग स्थान सप्तम मार्ग स्थान होता है। अष्टम आयु स्थान होता है। शनि दोनों भावों के स्वामी होते हैं। शनिवार के दिन शाम को ओम शन शनिश्चराय नम का जप कर सकते हैं। इसके अलावा माला का जाप करें। शनि से जुड़ी चीजों का दान कर सकते हैं। शनि का दान हमेशा शाम के समय करना चाहिए। अपना नाम बोलकर अपना नक्षत्र बोलकर अपनी राशि बोलकर और संकल्प लेकर ही दान करिए। मन में जो भावना लेकर दान करेंगे। वह भावना संकल्प लेकर किए गए दान से पूरी होती है। शास्त्र कहता है कि राजसिक दान करना चाहिए और संकल्प लेकर किया गया दान राजसिक दान की कैटेगरी में आता है।  हम वैसे डोनेशन कर देते हैं अपनी खुशी से कहीं पर जाकर डोनेट करते हैं। वह हमारा सात्विक दान होता है। हम जो एरोगेंस में डोनेशन करते हैं। उस स्थिति में जो हम दान करते हैं, वह हमारा तामसिक दान में आता है। उसका फल अच्छा नहीं होता। तो हमेशा जब भी दान करें राजसिक दान करें और संकल्प लेकर ही दान करें। उसका निश्चित तौर पर आपको फायदा ज्यादा होता है। 

नरेश कुमार
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