Edited By Prachi Sharma,Updated: 08 Oct, 2024 12:23 PM
आज बात करेंगे शनिदेव की। शनिदेव 29 जून को कुंभ राशि में वक्री हो गए थे अब 15 नवंबर को शनिदेव मार्गी हो जाएंगे। शनिदेव का मार्गी होना वृश्चिक राशि के लिए बहुत मायने रखता है
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Shani Margi 2024: आज बात करेंगे शनिदेव की। शनिदेव 29 जून को कुंभ राशि में वक्री हो गए थे अब 15 नवंबर को शनिदेव मार्गी हो जाएंगे। शनिदेव का मार्गी होना वृश्चिक राशि के लिए बहुत मायने रखता है। वृश्चिक राशि के ऊपर इस समय शनि की ढैया चल रही है और जब ढैया चल रही होती है और प्लेनेट वक्री हो जाता है तो उसके रिजल्ट जो नेगेटिव साइड पर ज्यादा चले जाते हैं। शनि की ढैया शनि का चौथे भाव का गोचर शुभ गोचर नहीं कहलाता। इसलिए जब गोचर का प्लेनेट वक्री अवस्था में चला गया है तो उसकी अशुभ फलों को करने की ताकत बढ़ जाती है, उसका चेष्टा बल बढ़ जाता है। जब चेष्टा बल बढ़ता है तो प्लेनेट अपने बुरे या अच्छे दोनों तरह के फल जो है वह पूरी ताकत के साथ करता है। यहां पर चूंकि वृश्चिक राशि के ऊपर ढैया चल रही है। पिछले ढाई साल से लगभग शनि कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं इसलिए वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बहुत परेशानी का सबब बना हुआ है। राहत की बात यह है कि 29 जून से लेकर 15 नवंबर तक का जो 140 दिन का पीरियड था वो थोड़ा सा ज्यादा प्रॉब्लमैटिक हो गया था। अब यहां पर 15 नवंबर के बाद राहत मिलती हुई नजर आएगी। 29 मार्च 2025 को आगे जाकर शनि बाहर निकल जाएंगे और मीन राशि में गोचर करेंगे ढैया समाप्त हो जाएगी। लेकिन शनिदेव फिर भी मार्गी रहेंगे और 13 जुलाई तक मार्गी ही रहेंगे। 15 नवंबर से लेकर 13 जुलाई तक जब शनि मार्गी अवस्था में रहेंगे यह लगभग 240 दिन का 220 दिन के आसपास का पीरियड होता है, जब शनिदेव मार्गी रहते हैं। 140 दिन के आस-पास शनिदेव साल में वक्री रहते हैं और पूरा साल का यही रहता है।
वृश्चिक राशि मंगल की राशि है इसलिए शनि अच्छा फल यहां पर नहीं करते। भले ही उनकी दशा आ जाए या महादशा आ जाए कुछ भी हो वहां पर शनिदेव का फल अच्छा नहीं होता। शनि जब ढैया में आते हैं तो निश्चित तौर पर फल अच्छे नहीं कर पाते क्योंकि शनिदेव के पास एक तो तीसरे भाव का स्वामित्व होता है जो शुभ भाव नहीं है। एक चौथे भाव का स्वामित्व होता है हालांकि चौथा भाव केंद्र का भाव है लेकिन तीसरे भाव का प्रभाव है वो ज्यादातर शुभ नहीं होता। शनि और मंगल मित्र न होने के कारण भी वृश्चिक राशि के जातकों को शनि के अच्छे फल नहीं मिल पाते। यहां पर शनि देव जब मार्गी हो जाएंगे तो दृष्टि जो जहां-जहां जा रही है शनिदेव की वजह से वहां पर थोड़ी सी राहत मिलती हुई नजर आ सकती है। वृश्चिक राशि की शनिदेव चौथे भाव में विराजमान है। तीसरी दृष्टि छठे भाव के ऊपर जा रही है। यहां से संबंधित आपको राहत मिलती हुई नजर आ सकती है। यदि आपके ऊपर किसी के कारण कर्जा चढ़ गया है या आप किसी रोग से पीड़ित है या आप कोर्ट केस में उलझे हुए हैं तो वहां पर आपको राहत मिलती हुई नजर आ सकती है। क्योंकि छठे भाव से संबंधित फल वो ज्यादा खराब नहीं मिलेंगे। शनि की दृष्टि तो रहेगी लेकिन चूंकि वक्र अवस्था से मार्गी अवस्था में आगे हैं इसलिए यहां पर खराब फल नहीं होंगे।
शनि की एक दृष्टि दशम भाव के ऊपर जा रही है।कर्म के भाव के ऊपर शनि की दृष्टि होने का मतलब यह है आपके सारे काम बहुत स्लो हो जाएंगे। शनि डिले करवाते हैं. यहां पर कारोबार के भाव पर शनि की दृष्टि होना वक्र अवस्था में चले जाना शनि का अच्छा नहीं चल रहा था। कारोबार के फ्रंट के ऊपर भले ही आप नौकरी करते हैं वहां पर पोजीशन आपकी बहुत अच्छी नहीं चल रही होगी। वहां पर हो सकता है आपको आपके काम का पूरा क्रेडिट न पाए। यहां पर जैसे ही शनि मार्गी अवस्था में आएंगे तो यहां पर जो दृष्टि प्रभाव के कारण चीजें खराब हो रही हैं। कारोबारियों के लिए भी राहत की बात है जो लोग नौकरी करते हैं उनके लिए भी राहत की बात है। इसके अलावा चूंकि शनि की एक दृष्टि दसवीं आपकी सीधी राशि के ऊपर आती है। राशि के ऊपर शनि के प्रभाव से आपका टेंपरामेंट है वो वो थोड़ा सा हाई हो जाता है।
चंद्रमा के ऊपर जब शनि की दृष्टि आती है तो आपका थॉट प्रोसेस नेगेटिव साइड की तरफ ज्यादा चला जाता है। शनि का प्रभाव आपकी राशि के ऊपर है वो अच्छा नहीं है। शनी जब मार्गी हो जाएंगे आगे निकलना शुरू करेंगे तो कुंभ राशि से आगे की तरफ जाएंगे। मीन राशि की तरफ उनका प्रभाव धीरे-धीरे घटता हुआ नजर आएगा। आपके ऊपर वृश्चिक राशि के जातकों को इस मामले में बहुत राहत मिलेगी। उनका जो स्टेट ऑफ माइंड है वो पॉजिटिव होगा। थोड़ा सा थॉट प्रोसेस में पॉजिटिविटी आएगी उससे चीजें काफी अच्छी होती हुई नजर आएंगी। शनि का वृश्चिक राशि के जातकों के ऊपर रहेगा। जब शनि मार्गी अवस्था में आ जाएंगे। शनि फोर्थ हाउस में है और फोर्थ हाउस में जब शनि बैठते हैं तो उस भाव को मजबूत भी करते हैं। फोर्थ हाउस आपका सुख स्थान होता है तो वहां से संबंधित फल आपको थोड़े से पॉजिटिव मिले। लेकिन जहां-जहां शनि की दृष्टि है जहां से संबंधित नेगेटिव फल मिल रहे थे आपके कोर्ट केसेस से संबंधित या कर्ज से संबंधित चीजें थोड़ी सी आपको ठीक होती हुई नजर आएंगी। यहां पर चौथे भाव में शनि जब रहते हैं तो उनका केंद्रीय प्रभाव तीनों भावों पर रहता है। थोड़ा सा प्रभाव जो नेगेटिव चल रहा है वक्री अवस्था में वो थोड़ा सा अब ठीक होगा और चीजें आपको सही दिशा में जाती हुई नजर आएंगी।
यदि आपकी कुंडली में शनि की स्थिति खराब है। शनि आपकी कुंडली में राहु-केतु एक्सेस में है, शनि-मंगल या सूर्य से पीड़ित है। शनि आठवें या 12वें भाव में पड़े हुए हैं तो आपको शनि की रेमेडीज जरूर करनी चाहिए।
जिनके ऊपर शनि की ढैया चल रही है उनको तो रेमेडीज करनी चाहिए। जिनकी कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर है या अस्त स्थिति में है उनको शनि देव के मंतर का जाप करना चाहिए।
ओम शनि शनिश्चराय नमः
पीपल के पेड़ को जल चढ़ाएं।
ऑफिस में सीनियर और जूनियर काम के साथ बिहेवियर कॉर्डियल होना चाहिए।
काली उड़द की दाल शनिवार शाम के समय दान करें।
नरेश कुमार
https://www.facebook.com/Astro-Naresh-115058279895728