Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Dec, 2024 02:00 PM
Shani Pooja at home: वास्तु शास्त्र के अनुसार शनि पूजा के लिए कुछ विशेष दिशा और स्थान के बारे में बताया गया है। शनि देव के पूजा स्थल के चयन और पूजा की दिशा का विशेष महत्व है, जिससे शनि के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाया जा सके और उनके कुप्रभावों से बचाव...
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Shani Pooja at home: वास्तु शास्त्र के अनुसार शनि पूजा के लिए कुछ विशेष दिशा और स्थान के बारे में बताया गया है। शनि देव के पूजा स्थल के चयन और पूजा की दिशा का विशेष महत्व है, जिससे शनि के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाया जा सके और उनके कुप्रभावों से बचाव किया जा सके।
Direction of Shani Puja according to Vastu वास्तु के अनुसार शनि पूजा की दिशा:
उत्तर-पश्चिम दिशा (North-West):
शनि पूजा के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा सर्वोत्तम मानी जाती है। इस दिशा को शनि देव की दिशा माना जाता है और इसे शनि के साथ संबंध स्थापित करने के लिए उपयुक्त माना जाता है। शनि देव को इस दिशा में पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि और शांति आती है।
उत्तर दिशा (North):
यदि उत्तर-पश्चिम दिशा उपलब्ध न हो, तो आप उत्तर दिशा में भी शनि पूजा कर सकते हैं। उत्तर दिशा को धन और समृद्धि की दिशा माना जाता है और यहां पूजा करने से भी अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। इस दिशा में पूजा करते समय ध्यान रखें कि पूजा स्थल स्वच्छ और साफ हो।
Other important points of Shani Pooja Sthal शनि पूजा स्थल के अन्य महत्वपूर्ण बिंदु:
शनि देव की मूर्ति या चित्र को उत्तर-पश्चिम या उत्तर दिशा में रखें।
पूजा करते समय पीपल के पत्ते, तिल, काले तिल और तिल के तेल का इस्तेमाल करें क्योंकि ये शनि देव के लिए प्रिय होते हैं।
दीपक या तेल का दीया जलाना शनि देव की पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे पूजा स्थल के पास रखें।
काले रंग के वस्त्र पहनने और काले रंग के फूल अर्पित करने से पूजा का प्रभाव और भी मजबूत होता है।
Additional Tips for Shani Pooja शनि पूजा के अतिरिक्त सुझाव:
शनि पूजा करते समय शांति बनाए रखना और ध्यान की स्थिति में रहना महत्वपूर्ण है।
यदि आप शनि देव के साथ सौम्य संबंध बनाना चाहते हैं तो शनि त्रयोदशी जैसे खास दिन पर पूजा करना और उनके मंत्र का जाप करना शुभ होता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, सही दिशा और वातावरण में पूजा करने से शनि के कुप्रभाव कम होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।