Edited By Niyati Bhandari,Updated: 31 Aug, 2024 03:31 AM
शनि प्रदोष का महत्व शनि देव की कृपा प्राप्त करने और उनके दोषों से मुक्ति पाने के लिए है। शनि देव, भगवान शिव के परम भक्त हैं और शनि प्रदोष व्रत में शिव की पूजा के साथ शनि की पूजा की जाती है,
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Shani Pradosh 2024: शनि प्रदोष का महत्व शनि देव की कृपा प्राप्त करने और उनके दोषों से मुक्ति पाने के लिए है। शनि देव, भगवान शिव के परम भक्त हैं और शनि प्रदोष व्रत में शिव की पूजा के साथ शनि की पूजा की जाती है, जिससे शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों के अनुसार शनि प्रदोष व्रत हर माह की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को करने का विधान है। विविध वारों के साथ इस व्रत का अलग-अलग योग भी बनता है। सोमवार, मंगलवार एवं शनिवार के प्रदोष व्रत अत्यधिक प्रभावकारी माने गए हैं। शनिवार 31 अगस्त को शनि प्रदोष का मंगलमय दिन है। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। शिव पुराण के अनुसार हनुमान जी को ग्यारवां रूद्र माना जाता है और शनिदेव भगवान शंकर के परम भक्त और चेले भी हैं। भगवान शंकर ने ही शनि देव को संसार का न्यायाधीश होने का कार्य दिया है।
शनि प्रदोष व्रत पर करें ये काम, हर समस्या का होगा नाश
इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर व्रत रखना होता है। प्रात: काल स्नान करके शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करें। भगवान शिव की बेल पत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप सहित पूजा करें। संध्या काल में पुन: स्नान करके इसी प्रकार से शिव जी की पूजा करनी चाहिए। शिवलिंग पर विधि-विधान से दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और जल अर्पित करें।
घर के ईशान कोण में चौकी स्थापित करके भगवान शिव की प्रतिमा, चित्रपट या शिवलिंग की स्थापना करें। चंदन, बेलपत्र, भांग, धतूरा इत्यादि चढ़ाएं और इस दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते रहें। पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती के साथ पूजा संपन्न करें।
Mahamrityunjaya Mantra महामृत्युंजय मंत्र- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
शनि प्रदोष के दिन सुबह और शाम भगवान शिव पर देसी घी का दीपक और शनि देव पर सरसों के तेल का दीपक अर्पित करें। इससे अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है और भगवान शिव व शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।