Edited By Prachi Sharma,Updated: 10 Jul, 2024 08:05 AM
आज बात करेंगे शनि देव की। शनि देव अगले साल 2025 में राशि परिवर्तन करेंगे 29 मार्च को। शनिदेव इस दौरान मीन राशि में चले जाएंगे। मीन राशि के शनि देव का गोचर 23 फरवरी 2028 तक है। 3 साल का समय
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Shani Transit 2025: आज बात करेंगे शनि देव की। शनि देव अगले साल 2025 में राशि परिवर्तन करेंगे 29 मार्च को। शनिदेव इस दौरान मीन राशि में चले जाएंगे। मीन राशि के शनि देव का गोचर 23 फरवरी 2028 तक है। 3 साल का समय है जब शनि देव मीन राशि में रहेंगे। जैसे ही शनि देव मीन राशि में आएंगे, मेष राशि के ऊपर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी। हालाँकि शनि की साढ़ेसाती का असर सब पर होता है। मेष राशि के लिए इसलिए ज्यादा होता है क्योंकि यह मंगल की राशि है। ये अग्नि तत्व की राशि है, शनि यहां बहुत ज्यादा शुभ नहीं होते हैं। सबसे पहले जानते हैं साढ़ेसाती होती क्या है ?
मेष राशि में चन्द्रमा हैं। ये मीन राशि में जैसे ही आएँगे तो यह मेष राशि से एक भाव पहले यानि बारहवें भाव में आ जाएंगे। यहां से शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाती है। शनि जब चन्द्रमा के ऊपर से गुजरते हैं तो ये मेष राशि में आएंगे। शनि पर उस समय दूसरी ढैया होगी। और जब ये एक घर आगे चले जाएंगे वृष राशि के ऊपर शनि की तीसरी ढैया होगी। शनि एक राशि में ढाई साल चलते हैं। शनि एक क्रूर ग्रह हैं जो कारक हैं जो नेचुरल रोग और ऋण के कारक हैं। साढ़ेसाती में ही मानसिक समस्या का सामना करना पड़ता है। चन्द्रमा चूंकि हमारी मन होता है। इसके ऊपर जब पाप प्रभाव बढ़ने लगता है, तब-तब मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है।
दूसरी समस्या यह है कि शनि चन्द्रमा के पास आ रहे हैं। शनि की जो दृष्टियां होती हैं, इन भावों में यदि हम देखते हैं साढ़ेसाती के दौरान शनि जिन तीन भावों में रहते हैं यानि कि बारहवें भाव में रहते हैं। साढ़ेसाती के दौरान शनि 11भाव कुंडली के कवर कर जाते हैं। पांचवें भाव के ऊपर शनि की दृष्टि नहीं आती है। यहां पर शनि प्रभावित नहीं करता है। ये संतान का भाव होता है। बारहवें भाव में शनि की तीसरी दृष्टि जा रही है दूसरे भाव के ऊपर। दूसरे फेज में शनि चन्द्रमा के ऊपर से जब जाएंगे तो शनि की तीसरी दृष्टि तीसरे वाले भाव के ऊपर जाएगी। सातवीं दृष्टि सप्तम भाव के ऊपर पड़ेगी। दसवीं दृष्टि कर्म स्थान के ऊपर पड़ेगी। शनि आखिरी फेज में होंगे तो तीसरी दृष्टि चौथे भाव के ऊपर पड़ेगी। सातवीं दृष्टि अष्टम भाव के ऊपर पड़ेगी। जब ये धन भाव से गोचर करते हैं तो दसवीं दृष्टि आय भाव के ऊपर पड़ती है। इस तरीके से शनि तीन भावों में बैठते हैं। कुंडली के बाकि सारे भाव जो हैं वो कवर कर जाते हैं। पंचम भाव पर शनि प्रभावित नहीं कर पाते हैं।
मेष राशि में शनि जब बारहवें भाव में होते हैं तो ये भाव आपका व्यय का भाव होता है। 12वें भाव को मोक्ष का भाव कहा जाता है, ये जेल का भी भाव होता है। शनि की तीसरी दृष्टि जाएगी आपके कुटुंब भाव के ऊपर। इस भाव से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। शनि की दृष्टि शुभ नहीं मानी जाती। आपकी वाणी में बदलाव हो सकता है। आपकी पर्सनालिटी में बदलाव देखने को मिलेगा। आप थोड़े से गुस्से वाले हो सकते हैं। अपनी वाणी पर कण्ट्रोल रखें। दूसरा भाव शनि के प्रभाव में है। संचित धन खर्च करना पड़ सकता है। शनि की एक दृष्टि छठे भाव के ऊपर है। कोर्ट केस, रोग, ऋण और ननिहाल पक्ष इस भाव से आता है। इस दौरान आपको कर्ज लेना पड़ सकता है या फिर किसी को धन उधार देंगे। इससे बचने के लिए किसी की गरंटी न लें। किसी को पैसा उधार न दें। छोटी-मोटी बीमारी को नजरअंदाज न करें। आंख से जुड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। स्क्रीन टाइम थोड़ा सा कम करें। ये बारहवें भाव में हैं और नौवें भाव को देखेंगे दसवीं दृष्टि के साथ। ये भाग्य का भाव होता है। किसी प्रोजेक्ट में देरी का सामना करना पड़ेगा, शनि की वजह से। धार्मिक यात्रा पर जा रहे हैं तो अपने दस्तवेजों को ध्यान से रखें। पिता की सेहत का खास ध्यान राखे। पूजा-पाठ में ध्यान बनाए रखें।
मेष राशि के जातक जो केतु की दशा में पैदा हुए हैं उन्हें शनि की महादशा नहीं मिलेगी। सूर्य की महादशा में बहुत कम जातक पैदा होते हैं। मेष राशि के लिए शनि दसवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी बनते हैं। धन हानि हो सकती है।
शनि उपाय: काले कपड़ों को अवॉयड करें।
ऊँ शं शनैश्चराय नमः का जाप करें।
7 शनिवार शनिदेव के मंदिर जरूर जाएं।
नरेश कुमार
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