Edited By Prachi Sharma,Updated: 04 Mar, 2025 09:19 AM
शनिदेव का गोचर हो रहा है 29 मार्च को। 29 मार्च को शनिदेव मीन राशि में गोचर करेंगे। यह यहां पर 23 फरवरी 2028 तक रहेंगे यानी कि अगला गोचर जो है वो मीन राशि में रहेगा।
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Shani Transit in pisces 2025: शनिदेव का गोचर हो रहा है 29 मार्च को। 29 मार्च को शनिदेव मीन राशि में गोचर करेंगे। यह यहां पर 23 फरवरी 2028 तक रहेंगे यानी कि अगला गोचर जो है वो मीन राशि में रहेगा। देश-दुनियां के हिसाब से यह गोचर 30 साल बाद हो रहा है, यदि हम 30 साल पीछे जाते हैं। अगली राशि जिसको शनि के इस गोचर का काफ लाभ होने जा रहा है वह है तुला राशि। यह गोचर तुला राशि के जातकों के लिए छठे भाव में होगा और छठे भाव में शनि का गोचर शुभ होता है। अब तुला राशि के लिए शनि योगा कारक ग्रह हो जाते हैं क्योंकि शनि की मकर राशि चौथे भाव में आ जाती है। शनि की कुंभ राशि जो मूल त्रिकोण राशि है, वह पंचम भाव में आ जाती है। इस लिहाज से शनि वह तुला राशि के जातकों के लिए योगा कारक हो जाते हैं। एक केंद्र और एक त्रिकोण भाव के स्वामी होकर अब गोचर तो निश्चित तौर पर अच्छा रहेगा। गुरु आपके भाग्य के कारक ग्रह होते हैं, गुरु आपके पंचम स्थान के कारक होते हैं। तो निश्चित तौर पर गुरु से संबंधित फल जरूर कर जाएंगे। काफी सारी चीजें करेक्ट करके जाएंगे। शनि आपके लाइफ में काफी चीजों को ठीक करके भी जाएंगे।
मीन राशि: मेष राशि के जातकों के ऊपर शनि की साढ़े साती शुरू हो रही है 29 मार्च से। यह साढ़े साती आपकी चलेगी 2032 तक। शनि आपके लिए अच्छा फल करेंगे, शनि खराब फल नहीं करेंगे चूंकि आपके लिए शनि अगले दो घरों के लिए भी इंपोर्टेंट है। आपके लिए दो फेस अगले भी इंपोर्टेंट है। मेष राशि एक ऐसी राशि है जिसके लिए शनि की महादशा लाइफ के आखिरी फेस में आती है। लाइफ के आखिरी फेस में इसलिए क्योंकि मेष राशि के जातक पैदा होतेहैं केतु के नक्षत्र में या फिर होते हैं शुक्र के नक्षत्र में या सूर्य के नक्षत्र के पहले चरण में अश्विनी नक्षत्र में जो लोग पैदा हुए उनको पूरी दशा केतु की साथ साल नहीं मिलती। मान लीजिये केतु के नक्षत्र में पैदा हुए और आपको दशा मिल गई 5 साल की तो, 5 साल केतु के रहे उसके बाद शुक्र आ गए। 20 साल शुक्र के आ गए आपके पास 25 साल हो गए 25 साल तक तो आपके ऊपर शनि नहीं आएंगे। उसके बाद सूर्य आ जाएंगे 6 साल के लिए। 31
साल सूर्य शनि नहीं आएंगे। उसके बाद आपके पास चंद्रमा आ गए 10 साल 41 हो गए।
आपका जन्म सूर्य के नक्षत्र में हो गया तो वहां पर आपको दिशा मिलेगी सूर्य की ज्यादा से ज्यादा दो साल तीन। यदि आपका जन्म सूर्य के नक्षत्र में भी हुआ है यानी कि कृतिका के पहले चरण में भी हुआ है तो भी आपको जाकर यह दशा 50 साल के बाद मिलेगी। शनि की महादशा जब तक आप करियर की ऊंचाई छू रहे होते हैं, तब तक आपको शनि नहीं आते। शनि की साढ़े साती या ढैया जरूर आ जाती है। अंतर्दशा में कई बार शनि बीच में जरूर आ जाते हैं। शुक्र की दशा है या राहु की दशा है उसमें दो-दो तीन-तीन साल का फेस शनि का आ जाता है लेकिन शनि की महादशा आपको नहीं मिलती। इसके बावजूद शनि की दृष्टि का असर जरूर होता है।
यहां पर शनि चूंकि 12वें भाव में आ जाएंगे। 12वें भाव का शनि का गोचर वैसे ही अच्छा नहीं होता तो 12वें भाव में जब शनि आते हैं क्योंकि शुभ गोचर में नहीं है आपके लिए दो भावों के स्वामी हैं। आपकी कुंडली के लिए कर्म भाव के स्वामी है और आपके लिए आय भाव के स्वामी है। इन दो भावों के स्वामी का 12वें भाव में चले जाना, ये दोनों के फलों की हानि कर जाएगा। यह दोनों को दोनों ही फलों को खराब कर जाएगा तो अपने दो भावों के फल को खराब कर जाएगा। तीसरी दृष्टि यहां पर है धन भाव के ऊपर, वहां पर हानि कर जाएंगे। तीसरी दृष्टि यहां पर जब 12वें भाव में शनि गोचर करेंगे तो धन भाव के ऊपर रहती है। यह कुटुंब का भी भाव है, ये आपकी वाणी का भी भाव होता है। ये आपकी ईटिंग हैबिट्स का भी भाव है, कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनको शनि की साढ़ेसाती के दौरान कुछ खराब आदतें लग जाती है। आपकी हेल्थ खराब कर सकती हैं। छठे भाव के ऊपर शनि की दृष्टि है, यह रोग, ऋण, शत्रु का भाव होता है निश्चित तौर पर यदि आप कुछ गड़बड़ खाएंगे तो आपका असर छठे भाव का मिलेगा। शनि की दृष्टि सीधी है छठे भाव के ऊपर तो अपनी कंपनी से सावधान रहना है। तीसरी दृष्टि दूसरे भाव के ऊपर है इससे बचना है। दूसरा अपनी वाणी के ऊपर थोड़ा सा नियंत्रण रखिएगा। मेष राशि वैसे ही अग्रेसिव राशि होती है। ओवर रिएक्शन से बचें। जो धन भाव है यहां पर धन की हानि निश्चित तौर पर कर जाते हैं। शनि तो कोशिश करिएगा कि धन किसी को न दिया जाए। शनि की दृष्टि बढ़ रही है छठे भाव के ऊपर। छठा भाव रोग, ऋण, कर्जे वाला भाव छठा भाव है तो किसी की गरंटी न लें। यहां पर छठे भाव से संबंधित सिग्निफिकेंट सारे एक्टिव हो जाएंगे। कोर्ट केसेस एक्टिव है रोग, ऋण, शत्रु वाला भाव एक्टिव है यह सारी चीजें थोड़ा सा ध्यान में रखने वाली होंगी। इनका यदि हम ध्यान रखेंगे तो इसके प्रभाव को थोड़ा सा कम किया जा सकता है। शनि यहां से दसवीं दृष्टि दे रहे हैं आपके भाग्य स्थान को। भाग्य स्थान से संबंधित फल आपके थोड़े से धीमे हो जाएंगे। कहीं जा रहे हैं धार्मिक यात्रा का प्लान बन रहा है, अध्यात्म में जाना चाहते हैं वहां पर मन नहीं लगेगा। वहां पर डिस्टरबेंस ज्यादा हो जाएगी। धार्मिक यात्रा पर जा रहे हैं। रास्ते में कोई न कोई प्रॉब्लम आ जाएगी। कोई प्लान कर रहे हैं कुछ चीजों का कुछ गोल सेट कर रहे हैं, दो महीने की बजाय चार महीने लग जाएंगे। वहां पर चीजें क्योंकि शनि डिले करवाते हैं।
यदि शनि आपकी कुंडली में छठे, आठवें, 12वें भाव में पड़े हुए हैं सूर्य के साथ है, अस्त है, मंगल के साथ हैं, राहु-केतु एक्सिस में है शनि बहुत अच्छी पोजीशन में नहीं है तो आपको शनि की रेमेडी जरूर करनी चाहिए।
शनिवार शाम के समय शनि देव की शिला को तेल अर्पित करें।
काली दाल का दान करें।
ॐ शं शनैश्चराय नमः का जाप करें।
नरेश कुमार
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