Shani Trayodashi 2024: साल की आखिरी शनि त्रयोदशी पर पूजा करने से मिलेगा दोगुना फल जानें, डेट और पूजा शुभ मुहूर्त

Edited By Prachi Sharma,Updated: 25 Dec, 2024 11:44 AM

shani trayodashi 2024

पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत करने का विधान है। इस दौरान शाम के समय महादेव और मां पार्वती की पूजा की जाती है।

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Shani Trayodashi 2024: पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत करने का विधान है। इस दौरान शाम के समय महादेव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। यदि कोई प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ता है तो उसे  शनि त्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन महादेव के साथ शनि देव की भी पूजा की जाती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी माना जाता है, जिनकी कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर होती है या जो शनि के खराब प्रभाव से मुक्ति पाना चाहते हैं। इस दिन पूजा-पाठ करने से बाकि दिनों के मुकाबले ज्यादा जल्दी फल प्राप्त होता है। 2024 वर्ष खत्म होने ही वाला है और जल्द ही साल का आखिरी प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

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Shani Pradosh date and auspicious time शनि प्रदोष डेट और मुहूर्त

पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 28 दिसंबर को रात 2 बजकर 26 मिनट पर होगा और अगले दिन 29 दिसंबर 2024 रात 3 बजकर 32 मिनट पर इसका समापन होगा।

पूजा के लिए शुभ मुहूर्त: शाम 5 बजकर 33 मिनट से रात 8 बजकर 17 मिनट तक

Importance of Shani Trayodashi शनि त्रयोदशी का महत्व

शनि त्रयोदशी का व्रत शनि देव और महादेव की आराधना और पूजा के लिए एक विशेष दिन होता है। शनि देव को न्याय, कर्मफल देने वाले और जीवन के कर्मों के हिसाब से सजा या पुरस्कार देने वाले देवता के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि शनि की कृपा से व्यक्ति को जीवन में सफलता, समृद्धि और शांति मिलती है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि के दुष्प्रभाव होते हैं तो शनि त्रयोदशी व्रत उसे शनि के कुप्रभावों से बचा सकता है और जीवन में सुख-शांति ला सकता है।

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Chant these mantras on the day of Shani Trayodashi  शनि त्रयोदशी के दिन इन मंत्रों का करें जाप

ॐ नमः शिवाय।
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।

ॐ शं शनैश्चराय नमः।
ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥

 

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