mahakumb

Sharad Purnima: आज से हुआ था रासलीला का आरंभ, पढ़ें शरद पूर्णिमा से जुड़ी खास बातें

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Oct, 2024 10:21 AM

sharad purnima

Sharad Purnima: हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है। जिसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहते हैं। ज्योतिष के अनुसार पूरे साल में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। शास्त्रों के...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Sharad Purnima: हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है। जिसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहते हैं। ज्योतिष के अनुसार पूरे साल में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। शास्त्रों के अनुसार इस तिथि पर चंद्रमा से निकलने वाली औषधीय किरणों में अनेक प्रकार के रोगों को हरने की क्षमता होती है। जिसका वैज्ञानिक आधार यह है की शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है। अंतरिक्ष के समस्त ग्रहों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा चंद्र किरणों के माध्यम से पृथ्वी पर पड़ती है। जो मानव शरीर, मन व मस्तिष्क के लिए सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाली व मानव शरीर के सात ऊर्जा चक्रों को ऊर्जावान बनाने वाली होती है। इसी आधार पर कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात आकाश से अमृत वर्षा होती है।

PunjabKesari Sharad Purnima

शरद पूर्णिमा के दिन समुद्र मंथन से चंद्रमा, भगवती आदिशक्ति श्री महालक्ष्मी और अमृत कलश सहित धनवंतरी देव का प्राकट्य हुआ था। समुद्र मंथन से शरद पूर्णिमा के दिन भगवती आदिशक्ति महालक्ष्मी के प्राकट्य के पश्चात इसी दिन उनका भगवान श्री विष्णु से पुनः विवाह हुआ था। हिन्दू धर्म में इस दिन कोजागर व्रत माना गया है। इसी को कौमुदी व्रत भी कहते हैं। इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था।

PunjabKesari Sharad Purnima

Sharad purnima: आज है रासलीला की रात, कामदेव ने ललकारा श्री कृष्ण ने स्वीकारा फिर...

Sharad Purnima 2024: आज राशि अनुसार करें ये उपाय, मां लक्ष्मी पधारेंगी आपके द्वार

Birth of Maa Lakshmi माता लक्ष्मी का जन्म: ऐसी मान्यता है कि माता लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था इसलिए देश के कई हिस्सों में शरद पूर्णिमा को लक्ष्मी पूजन, शरद पूर्णिमा को कोजागरी लोक्खी (देवी लक्ष्मी) की पूजा की जाती है।

नवरात्रि में मां दुर्गा की स्तुति के बाद अगले वर्ष आर्थिक सुदृढ़ता की कामना के लिए शरद पूर्णिमा के दिन सायंकाल मां लक्ष्मी की पूजा होती है। मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने वाला कारीगर ही लक्ष्मी की प्रतिमा बनाते हैं। पुरानी लक्ष्मी प्रतिमा का विसर्जन करके नई प्रतिमा को अगले वर्ष तक संभालकर रखा जाता है।

मां लक्ष्मी को 5 तरह के फल व सब्जियों के साथ नारियल भी अर्पित किया जाता है। मंदिरों में भी विशेष पूजा-अर्चना होती है। पूजा में लक्ष्मी जी की प्रतिमा के अलावा कलश, धूप, दुर्वा, कमल का पुष्प, हर्तकी, कौड़ी, आरी (छोटा सूपड़ा), धान, सिंदूर व नारियल के लड्डू प्रमुख होते हैं। जहां तक बात पूजन विधि की है तो इसमें रंगोली और उल्लू ध्वनि का विशेष स्थान है।

PunjabKesari Sanjay Dara Singh

जब द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ, तब मां लक्ष्मी राधा रूप में अवतरित हुईं। भगवान श्री कृष्ण और राधा की अद्भुत रासलीला का आरंभ भी शरद पूर्णिमा के दिन माना जाता है। शैव भक्तों के लिए शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कुमार कार्तिकेय का जन्म भी शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसी कारण से इसे कुमार पूर्णिमा भी कहा जाता है। पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में इस दिन कुमारी कन्याएं प्रातः काल स्नान करके सूर्य और चन्द्रमा की पूजा करती हैं। माना जाता है कि इससे उन्हें योग्य पति की प्राप्त होती है।

PunjabKesari Sanjay Dara Singh

Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientists
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)

 

Related Story

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!