Shardiya Navratri: शारदीय नवरात्रि आज से शुरू, ये है घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Oct, 2023 10:02 AM

shardiya navratri

हिंदू पंचांग के अनुसार 15 अक्टूबर यानी आज से शारदीय नवरात्रि के पावन पर्व की शुरुआत होने जा रही है। पूरे भारत में इस त्यौहार को बहुत ही हर्षोल्लास

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Shardiya Navratri 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार 15 अक्टूबर यानी आज से शारदीय नवरात्रि के पावन पर्व की शुरुआत होने जा रही है। पूरे भारत में इस त्यौहार को बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। कहते हैं नवरात्रि का आरंभ भक्तों के मन में उमंग और उल्लास लेकर आता है और वहीं इसके सकारात्मक प्रभाव की वजह से नकारात्मक माहौल की समाप्ति होती है। इन 9 दिनों के दौरान ब्रह्माण्ड की सारी शक्ति की डोर मां दुर्गा के पास रहती है। इस वजह से इस पर्व को शक्ति नवरात्रि भी कहा जाता है।

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बता दें कि इन दिनों में मां दुर्गा की पूजा करने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और साथ में ग्रहों से जुड़ी हर दिक्कत भी दूर हो जाती है। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है लेकिन इसके लिए मुहूर्त का पता होना बहुत जरुरी है। तो चलिए जानते हैं, आज किस मुहूर्त में कलश स्थापना की जाएगी।

Navratri par kalash sthapna ka shubh muhurat नवरात्रि पर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
पंचांग और ज्योतिषियों के अनुसार शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि यानी आज के दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त:
अभिजित मुहूर्त: 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 48 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक।
घटस्थापना मुहूर्त: प्रातः 06:30 मिनट से प्रातः 08:47 मिनट तक

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Navratri Ghatasthapana puja material list नवरात्रि घटस्थापना पूजन सामग्री लिस्ट
सप्त धान्य (7 तरह के अनाज), मिट्टी का एक बर्तन, मिट्टी, कलश, गंगाजल (उपलब्ध न हो तो सादा जल), पत्ते (आम या अशोक के), सुपारी, जटा वाला नारियल और अक्षत।

Method of Ghatasthapana in Shardiya Navratri शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना की विधि
सबसे पहले तो आज के दिन अपने सामर्थ्य अनुसार व्रत का संकल्प लें। संकल्प के बाद एक मिट्टी के पात्र में पवित्र मिट्टी को रखें और फिर उसमें जौ बोएं। एक बात का ध्यान रखें कि ईशान कोण में कलश स्थापना शुभ मानी जाती है। इसके बाद पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की तस्वीर स्थापित करें।

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मिट्टी या तांबे का एक कलश लें, फिर उसमें गंगा जल भरकर सिक्का, अक्षत, सुपारी और लौंग का जोड़ा डाल दें। कलश पर आम के पत्ते लगाकर उसके ऊपर नारियल रख दें। अंत में जौ वाले पात्र और कलश को मां दुर्गा की तस्वीर की दाई तरफ स्थापित कर दें। इसके बाद सच्चे मन से जगत जननी मां दुर्गा का आह्वाहन करें। इस विधि के मुताबिक पूजा करने से मां दुर्गा कभी भी अपने भक्तों की झोली खाली नहीं रखती हैं।

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