Edited By Prachi Sharma,Updated: 06 Oct, 2024 04:00 AM
नवरात्रि के चौथे दिन है मां कुष्मांडा का पूजन किया जाता है। धार्मिक मत है कि मां कुष्मांडा की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक
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Shardiya Navratri 2024: नवरात्रि के चौथे दिन है मां कुष्मांडा का पूजन किया जाता है। धार्मिक मत है कि मां कुष्मांडा की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है इसलिए साधक श्रद्धा भाव से मां कुष्मांडा की पूजा उपासना करते हैं। अगर आप भी मां कुष्मांडा की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो विधि पूर्वक मां कुष्मांडा की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय व्रत कथा का पाठ अवश्य करें या कथा को सुनें। इस व्रत कथा को सुनने मात्र से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। आज जानेंगे कि मां कुष्मांडा माता की पूजन विधि और व्रत कथा क्या है ?
मां कुष्मांडा की व्रत कथा-
सनातन शास्त्रों में निहित है कि चिरकाल में त्रिदेव ने सृष्टि की रचना करने की कल्पना की। उस समय समस्त ब्रह्मांड में अंधेरा छाया हुआ था। पूरा ब्रह्मांड स्तब्ध था। इसमें न कोई राग, न कोई ध्वनि थी। केवल सन्नाटा पसरा हुआ था। उस समय त्रिदेव ने जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा से सहायता ली।
जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा ने तत्क्षण ब्रह्मांड की रचना की। कहते हैं कि ब्रह्मांड की रचना मां कुष्मांडा ने अपनी मंद मुस्कान से की। मां के मुख मंडल पर फैली मंद मुस्कान से समस्त ब्रह्मांड प्रकाशवान हो उठा। ब्रह्मांड की रचना अपनी मुस्कान से करने के चलते जगत जननी आदिशक्ति को मां कुष्मांडा कहा गया है। मां की महिमा निराली है।
मां का निवास स्थान सूर्य लोक है। शास्त्रों में कहा जाता है कि मां कुष्मांडा सूर्य लोक में निवास करती हैं। ब्रह्मांड की रचना करने वाली मां कुष्मांडा के मुखमंडल पर उपस्थित तेज से सूर्य प्रकाशवान है। मां सूर्य लोक के अंदर और बाहर सभी जगहों पर निवास कर सकती हैं।
मां कुष्मांडा का पूजन कैसे करें-
देवी कुष्मांडा की पूजन के लिए उनकी तस्वीर को चौकी पर विराजमान करें।
फिर रोली, अक्षत, पीले फूल, पीले वस्त्र अर्पित करें। देवी कुष्मांडा को कुम्हड़ा यानि कद्दू जरूर अर्पित करें। देवी मां को कुम्हड़े की बलि प्रिय है।
इसके अलावा मां कुष्मांडा की पूजा में 'ॐ बुं बुधाय नमः' मंत्र का जाप करते हुए हरी इलायची के साथ सौंफ चढ़ाएं।
बेहतर होगा कि जितनी आपकी उम्र हो माता को उतनी ही इलायची अर्पित करें।
पूजा के बाद माता को समर्पित की गई इलायची को साफ हरे वस्त्र में बांधकर, पूरे नवरात्रि तक अपने पास रखें।
ऐसा करने से जीवन में सुख और समृद्धि बढ़ती है।