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Shattila Ekadashi 2025: षटतिला एकादशी पर छोटा सा तिल बना सकता है आपको बड़े पुण्य का अधिकारी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Jan, 2025 03:01 PM

shattila ekadashi

Shattila Ekadashi 2025: षटतिला एकादशी हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण व्रत और पूजा का दिन है, जो विशेष रूप से माघ महीने के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। यह एकादशी का व्रत खासकर उन लोगों के लिए लाभकारी माना जाता है जो अपने जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और...

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Shattila Ekadashi 2025: षटतिला एकादशी हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण व्रत और पूजा का दिन है, जो विशेष रूप से माघ महीने के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। यह एकादशी का व्रत खासकर उन लोगों के लिए लाभकारी माना जाता है जो अपने जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। षटतिला एकादशी का नाम "षट" (छह) और "तिला" (तिल) शब्दों से आया है क्योंकि इस दिन तिल का सेवन और तिल से जुड़ी पूजा विशेष रूप से की जाती है। यह व्रत आध्यात्मिक शुद्धि, पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। खास बात यह है कि इस दिन तिल का उपयोग विशेष रूप से पुण्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

Shattila Ekadashi
षटतिला एकादशी के बारे में कुछ विशेष जानकारी:
तिल का महत्व:

षटतिला एकादशी में तिल को विशेष रूप से पुण्य और शुद्धि के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। तिल का सेवन, तिल से स्नान करना, तिल का दान करना—इन सभी कार्यों से शरीर, मन और आत्मा को शुद्धि मिलती है। तिल को शांति और संतुलन का प्रतीक माना जाता है और यह प्राचीन धर्मग्रंथों में शुद्धि के लिए इस्तेमाल किया गया है।

Shattila Ekadashi

विशेष शास्त्रिक कथा:
एकादशी की रात को विशेष पूजा की जाती है और रातभर जागरण करना महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पूजा केवल पारंपरिक तरीके से नहीं, बल्कि तिल के तेल का दीपक जलाकर की जाती है। शास्त्रों में वर्णित एक कथा के अनुसार, एक समय भगवान विष्णु ने तिल के माध्यम से एक प्रबल राक्षस को पराजित किया था और तिल को एक विशेष शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया गया।

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दान का महत्व:
इस दिन विशेष रूप से तिल का दान करना शुभ माना जाता है। तिल का दान विशेष रूप से ब्राह्मणों को किया जाता है। तिल, तेल, दाल और तिल के लड्डू का दान इस दिन विशेष रूप से किया जाता है ताकि पापों का नाश हो सके और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त हो सके। इस दिन तिल के दान को जीवन के सभी पापों को समाप्त करने का एक महान उपाय माना जाता है।

ध्यान और मंत्रोच्चारण:
इस दिन विशेष मंत्रोच्चारण और ध्यान करना भी महत्वपूर्ण माना जाता है। "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" या "ॐ विष्णु" जैसे मंत्रों का जाप इस दिन विशेष रूप से किया जाता है। यह मंत्र मानसिक शांति और आंतरिक शक्ति को बढ़ाने में सहायक होते हैं।

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यह व्रत मानसिक शांति का प्रतीक है:
षटतिला एकादशी का व्रत केवल भौतिक उन्नति के लिए नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति के लिए भी महत्वपूर्ण है। तिल के माध्यम से अपनी बुरी आदतों और गलत विचारों से मुक्ति पाई जा सकती है। तिल का सेवन, तिल से स्नान और तिल का दीपक जलाना मानसिक तनाव को कम करने का एक प्रभावी उपाय है।

मातृ-पितृ ऋण का निवारण:
धार्मिक दृष्टि से यह एकादशी मातृ-पितृ ऋण के निवारण के लिए भी खास मानी जाती है। तिल का दान विशेष रूप से पूर्वजों की शांति के लिए किया जाता है, जिससे पितृ पक्ष को शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

षटतिला एकादशी का व्रत सरल नहीं है लेकिन इसे मन, वचन और क्रिया से पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ किया जाए तो इसके अनगिनत लाभ प्राप्त होते हैं।

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