Edited By Prachi Sharma,Updated: 21 Mar, 2025 07:56 AM

शीतला अष्टमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो खासकर भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है। शीतला अष्टमी का पर्व विशेष रूप से स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और कष्टों से मुक्ति पाने के लिए मनाया जाता है।
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Sheetala Ashtami 2025: शीतला अष्टमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो खासकर भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है। शीतला अष्टमी का पर्व विशेष रूप से स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और कष्टों से मुक्ति पाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन को शीतला माता की पूजा और विशेष पाठ के द्वारा उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर माना जाता है। ये विशेष रूप से बुखार, संक्रामक रोगों और अन्य प्रकार की बीमारियों से बचाने वाली मानी जाती हैं। शीतला माता को रोगों की नाशक और सभी कष्टों से मुक्ति देने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। शीतला मैया विशेष रूप से गर्मी से उत्पन्न होने वाले रोगों और बीमारी से रक्षा करती हैं, जैसे कि चेचक, बुखार और महामारी।
श्री कालिकाष्टकम्
गलद्रक्तमुण्डावलीकण्ठमालामहोघोररावा सुदंष्ट्रा कराला।
विवस्त्रा श्मशानालया मुक्तकेशीमहाकालकामाकुला कालिकेयम्॥1॥
भुजे वामयुग्मे शिरोऽसिं दधानावरं दक्षयुग्मेऽभयं वै तथैव।
सुमध्याऽपि तुङ्गस्तनाभारनम्रालसद्रक्तसृक्कद्वया सुस्मितास्या॥2॥
वद्वन्द्वकर्णावतंसा सुकेशीलसत्प्रेतपाणिं प्रयुक्तैककाञ्ची।
शवाकारमञ्चाधिरूढा शिवाभिश्-चतुर्दिक्षुशब्दायमानाऽभिरेजे॥3॥
विरञ्च्यादिदेवास्त्रयस्ते गुणांस्त्रीन्समाराध्य कालीं प्रधाना बभूबुः।
अनादिं सुरादिं मखादिं भवादिंस्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥4॥
जगन्मोहनीयं तु वाग्वादिनीयंसुहृत्पोषिणीशत्रुसंहारणीयम्।
वचस्तम्भनीयं किमुच्चाटनीयंस्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥5॥
इयं स्वर्गदात्री पुनः कल्पवल्लीमनोजांस्तु कामान् यथार्थं प्रकुर्यात्।
तथा ते कृतार्था भवन्तीति नित्यं-स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥6॥
सुरापानमत्ता सुभक्तानुरक्तालसत्पूतचित्ते सदाविर्भवत्ते।
जपध्यानपूजासुधाधौतपङ्कास्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥7॥
चिदानन्दकन्दं हसन् मन्दमन्दंशरच्चन्द्रकोटिप्रभापुञ्जबिम्बम्।
मुनीनां कवीनां हृदि द्योतयन्तंस्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥8॥
महामेघकाली सुरक्तापि शुभ्राकदाचिद् विचित्राकृतिर्योगमाया।
न बाला न वृद्धा न कामातुरापिस्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥9॥
क्षमस्वापराधं महागुप्तभावं मयालोकमध्ये प्रकाशिकृतं यत्।
तव ध्यानपूतेन चापल्यभावात्स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥10॥
यदि ध्यानयुक्तं पठेद् यो मनुष्यस्तदासर्वलोके विशालो भवेच्च।
गृहे चाष्टसिद्धिर्मृते चापि मुक्तिःस्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः॥11॥

शीतला अष्टमी के स्वास्थ्य लाभ
शीतला अष्टमी का पर्व विशेष रूप से स्वास्थ्य लाभ से जुड़ा हुआ है। शीतला माता की पूजा और व्रत करने से शरीर में शांति और ऊर्जा का संचार होता है। विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए यह दिन लाभकारी है जो बुखार, त्वचा रोगों, या अन्य संक्रामक बीमारियों से पीड़ित होते हैं। शीतला माता की पूजा करने से रोगों की रक्षा होती है और व्यक्ति को मानसिक शांति और आत्मविश्वास मिलता है।
