Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Jan, 2023 07:45 AM
बेल पत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं। उन्हें शिवलिंग पर चढ़ाने से पहले ध्यान रखें बेल पत्र के तीनों पत्ते पूरे हों, टूटे न हों। इसका चिकना भाग शिवलिंग से स्पर्श करना चाहिए। नील कमल भी
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How To Worship Lord Shiva: बेल पत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं। उन्हें शिवलिंग पर चढ़ाने से पहले ध्यान रखें बेल पत्र के तीनों पत्ते पूरे हों, टूटे न हों। इसका चिकना भाग शिवलिंग से स्पर्श करना चाहिए। नील कमल भी भगवान शिव का प्रिय पुष्प माना गया है। अन्य फूलों में कनेर, आक, धतूरा, अपराजिता, चमेली, नाग केसर, गूलर आदि के फूल चढ़ाए जा सकते हैं। फूल ताजे हों बासी नहीं। जो पुष्प वर्जित हैं वे हैं- कदंब, केवड़ा, केतकी। इस दिन काले वस्त्र न पहनें। पूजा में अक्षत ही चढ़ाएं। भगवान शिव की पूजा में भूल कर भी टूटे हुए चावल नहीं चढ़ाने चाहिए। भगवान शिव की पूजा करते समय शंख से जल अर्पित नहीं करना चाहिए। भगवान शिव की पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित माना गया है। भगवान शिव की पूजा में तिल नहीं चढ़ाया जाता। भगवान शिव की प्रतिमा पर नारियल तो चढ़ा सकते हैं, लेकिन नारियल का पानी नहीं। हल्दी और कुमकुम उत्पत्ति के प्रतीक हैं, इसलिए भगवान शिव के पूजन में इनका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
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Shiv puja vidhi mantra: भगवान शिव के मंत्र
इन मंत्रों का प्रयोग नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने, ग्रह दोष निवारण, मृत्यु भय, बाधा, रोग, दु:ख, डर और किसी भी समस्या में किया जा सकता है।
ॐ नमः शिवाय॥
ॐ ह्रीं ह्रौं नम: शिवाय॥
ॐ पार्वतीपतये नम:॥
ॐ पशुपतये नम:॥
ॐ नम: शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नम: ॐ ॥
How To Worship Lord Shiva: विभिन्न सामग्री से बने शिवलिंग का अलग महत्व
फूलों से बने शिवलिंग पूजन से भू-संपत्ति प्राप्त होती है। अनाज से निर्मित शिवलिंग स्वास्थ्य एवं संतान प्रदायक है। गुड़ व अन्न मिश्रित शिवलिंग पूजन से कृषि संबंधी समस्याएं दूर रहती हैं। चांदी से निर्मित शिवलिंग धन-धान्य बढ़ाता है। स्फटिक वाले शिवलिंग से अभीष्ट फल प्राप्ति होती है। पारद शिवलिंग अत्यंत महत्वपूर्ण है जो सर्व कामप्रद, मोक्षप्रद, शिवस्वरुप बनाने वाला, समस्त पापों का नाश करने वाला माना गया है।
Kaal sarp yoga rahu yog: कालसर्प या राहू योग का निवारण
चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा, दूध या गंगा जल, हलवा, सरसों का तेल, काला सफेद कंबल, शिवलिंग पर अर्पित करें। महामृत्युंजय मंत्र की कम से कम, एक माला-108 मंत्र अवश्य पढ़ें या किसी सुयोग्य कर्मकांडी से इस दोष का विधिवत निवारण करवाएं।