Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 May, 2024 07:33 AM
देवी पार्वती ने भगवान को पति रूप में पाने के लिए घोर तप किया। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें इच्छित वर दिया और अंतर्ध्यान हो गए। पार्वती जी
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Lord Shiva and Parvati Story: देवी पार्वती ने भगवान को पति रूप में पाने के लिए घोर तप किया। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें इच्छित वर दिया और अंतर्ध्यान हो गए। पार्वती जी को तभी अचानक किसी बालक के रोने-चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। पार्वती जी बालक की ओर दौड़ीं तो देखा कि एक सुंदर सरोवर में बालक को एक ग्राह (मगरमच्छ) ने पकड़ लिया है। पार्वती जी बोलीं, ‘‘ग्राहराज! बालक को छोड़ दो।’’
ग्राह बोला, ‘‘देवी! यह मेरा आहार है, मैं इसे नहीं छोड़ सकता। तुम अपना तप मुझे अर्पण कर दो तो मैं इसे छोड़ सकता हूं।’’
पार्वती जी बोलीं, ‘‘इस तप की तो बात ही क्या, मैंने जन्म भर में जो पुण्य संचय किया है सब तुम्हें अर्पण करती हूं, तुम इस बालक को छोड़ दो।’’
इतना कहते ही ग्राह का शरीर तप के तेज से चमक उठा। वह बालक को छोड़ कर अंतर्ध्यान हो गया। इधर पार्वती जी का अपना तप चला गया तो उन्होंने दोबारा तप करने का निश्चय किया।
तभी भगवान शिव प्रकट होकर बोले, ‘‘देवी, तुम्हें पुन: तप नहीं करना पड़ेगा। तुमने यह तप मुझे ही दिया है। बालक और ग्राह भी मैं ही था। तुम्हारी दया और त्याग की महिमा देखने के लिए मैंने यह लीला रची। दान के फलस्वरूप तुम्हारी तपस्या अब हजार गुना होकर अक्षय हो गई है।’’