Edited By Jyoti,Updated: 06 Sep, 2022 12:52 PM
तिलक लगाने की परंपरा हिंदू धर्म में प्राचीन समय से चली आ रही है। इसके अनुसार हिंदू धर्म में किसी भी प्रकार का कोई मांगलिक कार्य बिना तिलक लगाए नहीं किया जाता। तो वहीं धार्मिक ग्रंथों में विभिन्न तिलक के बारे में वर्णन किया है। जिसमें चंदन से लेकर...
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तिलक लगाने की परंपरा हिंदू धर्म में प्राचीन समय से चली आ रही है। इसके अनुसार हिंदू धर्म में किसी भी प्रकार का कोई मांगलिक कार्य बिना तिलक लगाए नहीं किया जाता। तो वहीं धार्मिक ग्रंथों में विभिन्न तिलक के बारे में वर्णन किया है। जिसमें चंदन से लेकर सिंदूर तक के तिलक के बारे में उल्लेख किया गया है। इसके अलावा इसमें त्रिपुंड तिलके के बारे में बताया गया है। जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। हालांकि अक्सर साधू-संतों व पुजारियों आदि को त्रिपुंड लगाए आप में से लगभग लोगों ने देखा होगा। लेकिन इसका हिंदू धर्म में क्या महत्व है इस बारे में लोगों को कम जानकारी है। दरअसल त्रिपुंड तिलक का सीधा संबंध देवों के देव महादेव से है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिव जी की पूजा में उन्हें चंदन या भस्म का त्रिपुंड तिलक लगाना बेहद जरूरी माना जाता है। परंतु इसे लगाने वाले व्यक्ति को इन बातों का जरूर पता होना चाहिए कि त्रिपुंड में तीन रेखाओं का अर्थ क्या, इसके लगाने का सही तरीका क्या है तथा इस लगाने से किस तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। तो चलिए जानते हैं ये तमाम जानकारी-
हिंदू धर्म के ग्रंथों में किए उल्लेख के अनुसार त्रिपुंड में तीन रेखाएं होती हैं, जिसके बारे में मान्यता ये है कि इन तीन रेखाओं में हिंदू धर्म के 27 देवताओं का वास होता है। प्रत्येक एख रेखा में 9 देवताओं निवास करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति मस्तक पर त्रिपुंड लगाता है उस पर शिव जी की असीम कृपा प्राप्त होती है। अतः अक्सर साधू-संतों और पुजारी अपनी ललाट तीन रेखाओं का तिलक लगाते हैं।
यहां जानें त्रिपुंड के किस रेखा में कौन से देवता करते हैं वास-
त्रिपुंड की पहली रेखा के देवता- महादेव, अकार, रजोगुण, पृथ्वी, गाहॄपतय, धर्म ,प्रातः कालीन हवन, क्रियाशक्ति, ऋग्वेद है
त्रिपुंड की दूसरी रेखा के देवता- महेश्वर, ऊंकार, आकाश, अंतरात्मा, इच्छाशक्ति, दक्षिणाग्नि, सत्वगुण, मध्याह्न हवन
त्रिपुंड की तीसरी रेखा के देवता- शिव, आहवनीय अग्नि, ज्ञानशक्ति, सामवेद, तमोगुण, तृतीय हवन स्वर्गलोक, परमात्मा
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त्रिपुंड लगाने के लाभ
धार्मिक मान्यता के अनुसार ललाट पर त्रिपुंड लगाने से व्यक्ति को एक साथ 27 देवताओं को आशीर्वाद प्राप्त होता है। तो वहीं ज्योतिष व वास्तु शास्त्र के अनुसार इसे लगाने से व्यक्ति के मन में बुरे विचार उत्पन्न नहीं होते, मानसिक शांति मिलती तथा व्यवहार में सौम्यता आती है।
इसके अलावा प्रतिदिन त्रिपुंड लगाने से व्यक्ति द्वारा किए गए जाने-अनजान में हुए पापों से छुटकारा मिलता है। शिव पुराण में वर्णन किया गया है कि जो शिव भक्त इसे शिव जी के प्रसाद के रूप में अपनी ललाट पर धारण करता है, उस पर बुरी शक्तियां अधिक प्रभावित नहीं हो पाती। बल्कि शरीर के साथ-साथ जीवन में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है और व्यक्ति धर्म के प्रति अधिक अग्रसर रहने लगता है।
अब जानिए इसे लगाने का सही तरीका-
ज्योतिष विशेषज्ञ बताते हैं कि त्रिपुंड को लगाने का फायदा तभी मिलता है जब इसे लगाने से पहले और बाद में पवित्रा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ध्यान रहें इसे लगाने से पहले महादेव के साथ-साथ सभी देवताओं का ध्यान करते हुए तथा ॐ नमः शिवाय का जप बोलते हुए इसे धारण करें।
ध्यान दें त्रिपुंड लगाने के लिए सिर्फ चंदन या भस्म का ही उपयोग करें। इसके लिए आप भोलेनाथ पर चढ़ाई गई भस्म का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है इससे महादेव अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
ज्योतिषी बताते हैं कि त्रिपुंड को लगाने के लिए हमेशा मध्य की तीन अंगुलियों का उपयोग करना चाहिए। इन तीन अंगुलियों से भस्म या चंदन लेकर बाएं नेत्र से दाएं नेत्र की ओर लगाएं। कहा जाता है ये तीन आड़ी रेखाएं दोनों नेत्रों के बीच ही सीमित रहना चाहिए। इसके अतिरिक्त इस बात की ओर खास ध्यान रहे कि इसे लगाते वक्त मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
बहुत कम लोग जानते हैं कि मस्तक के अलावा त्रिपुंड शरीर के 32 अंगों पर भी धारण किया जा सकता है। मान्यता है कि हर अंग पर लगाने त्रिपुंड लगाने का अलग प्रभाव होता है। बता दें इसे ललाट, दोनों कान, दोनों नेत्र, ह्रदय, दोनों कलाई, दोनों कोहनी, नाभि, दोनों घुटने, दोनों पाश्र्व भाग, दोनों पिंडली और दोनों पैर भी लगाया जा सकता है।
इन सब के अलावा जिस किसी की कुंडली में चंद्र दोष उसके लिए ललाट पर त्रिपुंड लगाना बेहद लाभदायक माना जात है। इतना ही नहीं इसे लगाने से स्मरण शक्ति और बेहतर निर्णय लेने की क्षमता आती है।