Edited By Prachi Sharma,Updated: 31 Mar, 2024 09:45 AM
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यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के रूप में वर्गीकृत शोर मंदिर तमिलनाडु के मामल्लपुरम के समुद्र तट पर सबसे पुराना और अकेला बचा हुआ मंदिर है। सातवीं शताब्दी के उत्तराद्र्ध में निर्मित
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Mahabalipuram Shore Temple: यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के रूप में वर्गीकृत शोर मंदिर तमिलनाडु के मामल्लपुरम के समुद्र तट पर सबसे पुराना और अकेला बचा हुआ मंदिर है। सातवीं शताब्दी के उत्तराद्र्ध में निर्मित यह द्रविड़ियन और पल्लव वास्तुकला का एक आदर्श नमूना है, जिसे राजा नरसिंह वर्मन द्वितीय ने सन् 695 से 722 ईस्वी के मध्य ग्रेनाइट पत्थरों से बनवाया था। उस काल में यह क्षेत्र एक अत्यंत व्यस्त बंदरगाह भी हुआ करता था।
शोर मंदिर उन सात मंदिर परिसरों में से एकमात्र बचा है, जो बंगाल की खाड़ी के तट पर मौजूद थे। शेष छ: मंदिर परिसर समुद्र में समा चुके हैं। वर्ष 2004 में आई सुनामी के दौरान डूबे हुए मंदिरों के कुछ अवशेष दिखाई दिए थे। भले ही मंदिर में अनेक प्रकार की नक्काशी समय के साथ नष्ट हो गई, फिर भी काफी सारी उत्कृष्ट नक्काशी अभी भी देखी जा सकती है। बागानों और खंडहरों से घिरा हुआ दो मंजिला शोर मंदिर चट्टान में की गई नक्काशी के साथ भव्य दिखाई देता है। आसपास के अन्य छोटे मंदिर इस विशाल इमारत की सुंदरता बढ़ा देते हैं।
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A Temple with three shrines तीन तीर्थों वाला एक मंदिर
मंदिर को स्थानीय रूप से अलाइवय-के-कोविल के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले ग्रेनाइट बोल्डर पर टिका हुआ है।
इस परिसर में तीन अलग-अलग तीर्थ हैं- दो भगवान शिव और एक भगवान विष्णु को समर्पित है। तीनों तीर्थों में ‘विष्णु तीर्थ’ सबसे पुराना और छोटा है। मंदिर के भीतर तीन गर्भगृह हैं, जिनमें से दो भगवान शिव और एक भगवान विष्णु का है। बीच में भगवान विष्णु तथा इसके दोनों तरफ शिव मंदिर हैं। इसके पंच रथ परिसर में रथ के आकार के पांच मंदिर न केवल 7वीं और 8वीं शताब्दी की अखंड संरचनाओं के रूप में, बल्कि अपनी शैली के लिए भी दिलचस्प हैं। मंदिरों का नाम पांच पांडव भाइयों और द्रौपदी के नाम पर रखा गया है। सबसे पहली संरचना, जिसका नाम द्रौपदी के नाम पर रखा गया है, का आकार बंगाल की एक फूस की छत वाली झोंपड़ी जैसा है। दूसरा अर्जुन का रथ एक बौद्ध विहार के आकार का है। बीच में शेर, हाथी और बैल की बड़ी मूर्तियां हैं। एक संरचना भीम के नाम पर है, उसकी छत गुंबददार है।
Special Things खास बातें
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शोर मंदिर कटे हुए पत्थरों से निर्मित और एक मुक्त खड़ा संरचनात्मक मंदिर है। यह पांच मंजिला मंदिर है, इसकी पिरामिड संरचना 60 फुट ऊंची है और 50 फुट वर्ग में फैली हुई है। मंदिर से टकराती सागर की लहरें अनोखा दृश्य उपस्थित करती हैं।
खतरे में तटरेखा
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‘शोर मंदिर’ के उत्तरी किनारे को घिस रही तटरेखा का सामना करना पड़ रहा है। बताया गया है कि तटरेखा में हर साल 4-5 मीटर की कमी आ रही है।
मामल्लपुरम के बारे में...
मामल्लपुरम, जिसे महाबलीपुरम या ‘सैवन पैगोडा’ भी कहा जाता है, चेन्नई से 60 किलोमीटर दक्षिण में बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर स्थित है। मामल्लपुरम अपने स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है।
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अन्य आकर्षण
इन संरचनाओं के दक्षिण-पश्चिम में तीन गुफा मंदिर हैं जिन्हें स्थानीय रूप से मंडप के नाम से जाना जाता है। यहां स्थित नक्काशीदार वराह गुफा मंदिर 7वीं शताब्दी का है।