Edited By ,Updated: 26 Nov, 2016 08:06 AM
साधारणत: हम जो कुछ भी करते हैं वही कर्म है। कर्म का पहला सोपान है विचार। विचार के बिना हम कर्म को पूरा नहीं कर सकते। वास्तव में
साधारणत: हम जो कुछ भी करते हैं वही कर्म है। कर्म का पहला सोपान है विचार। विचार के बिना हम कर्म को पूरा नहीं कर सकते। वास्तव में कर्म विचारों, शब्दों तथा कार्यों का मिश्रण है। साधारणत: लोग एक या दो बुरे कर्म अपने पिछले जन्म या इस जन्म में करते हैं। यदि उनका घर वास्तु के अनुसार सही कर दिया जाए तो उन्हें इन बुरे कर्मों के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही दो सप्ताह के भीतर उनके घर में स्वास्थ्य, सम्पदा तथा खुशहाली का प्रवेश हो जाता है।
जगह या स्थान के प्रभाव को बढिय़ा तरीके से श्रवण कुमार की कथा के माध्यम से जाना जा सकता है। जब श्रवण कुमार कुरुक्षेत्र पहुंचा तो अपने माता-पिता से पैसे मांगने लगा।
उसके दृष्टिहीन माता-पिता उसकी मांग सुन कर भौंचक्के रह गए तथा उन्होंने कहा, ‘‘इस वक्त हम कहां हैं?’’
श्रवण कुमार ने उत्तर दिया, ‘‘कुरुक्षेत्र में।’’
यह सुनने पर उसके माता-पिता सारी बात समझ गए तथा उन्होंने उत्तर दिया, ‘‘कुरुक्षेत्र लांघने के पश्चात हम यकीनन तुम्हें पैसे दे देंगे।’’
जब कुरुक्षेत्र पीछे छूट गया तो श्रवण कुमार अपने माता-पिता के पैरों में गिर पड़ा तथा अपने शर्मनाक कार्य के लिए क्षमा मांगने लगा। इस पर उसकी माता ने कहा, ‘‘यह तुम्हारा दोष नहीं है। दोष वास्तव में जगह का है’’
हालांकि इस ब्रह्मांड का रचयिता भगवान है परन्तु आप इस धरती पर अपने माता-पिता के कारण हैं। जब घर की स्थिति में वास्तु का प्रयोग कर लिया जाता है। तो माता-पिता तथा बच्चों में संबंध बहुत सकारात्मक तथा स्नेहिल हो जाते हैं। बच्चों का यह परम कर्तव्य है कि वे अपने माता-पिता को सम्मान दें तथा उनकी आज्ञा का पालन करें क्योंकि वे हमेशा उनकी खुशहाली के बारे में सोचते हैं।
एक हिरण जंगल में कस्तूरी की खोज में इधर-उधर घूमता है जो उसके अंदर ही मौजूद होती है। उसी तरह मानव भी भगवान की खोज में इधर-उधर घूमता है जो उसके अंदर विद्यमान है परन्तु उसके बुरे कर्मों के कारण उससे दूर है। पवित्र गीता जी में कहा गया है, ‘‘कोई भी तुम्हारी हत्या नहीं कर सकता।’’
फिर भी हम अपने साथ कुछ होने से डरते रहते हैं जिस कारण हमेशा तनाव में रहते हैं। वास्तु के प्रयोग से सारे डर दूर हो जाते हैं, यह आपको अन्याय के विरुद्ध लडऩे में सहायता करता है तथा आप में इतना आत्मविश्वास भर देता है कि आप अपने जीवन को एक सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं।
वास्तु बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पूरे परिवार को खुशहाली देता है तथा अनावश्यक तनावों एवं बुराइयों से बचाता है। यह न सिर्फ इस जीवन को खुशहाल बनाता है बल्कि अगले जन्म को भी सुधारता है। इस तरह वास्तु आपको बुरे कर्म करने से बचाता है। वास्तु से आपको जीवन में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है तथा इससे साम्प्रदायिक सद्भाव प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
यदि किसी व्यक्ति के पास स्वास्थ्य, सम्पत्ति तथा खुशहाली है तो वह कोई जुर्म (बुरा कर्म) क्यों करेगा। शांतिपूर्ण तथा तनाव मुक्त संसार के दरवाजे वास्तु के उपयोग से ही खुलते हैं।