Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Jul, 2024 09:16 AM
पौराणिक कथा के अनुसार राक्षसों एवं देवताओं के मध्य हुए समुद्र मंथन में जो 14 रत्न निकले थे उनमें विष भी था जिसे न देवता लेना चाहते थे और न राक्षस। भगवान भोले नाथ भंडारी ने उस विष को
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Sawan Month 2024: पौराणिक कथा के अनुसार राक्षसों एवं देवताओं के मध्य हुए समुद्र मंथन में जो 14 रत्न निकले थे उनमें विष भी था जिसे न देवता लेना चाहते थे और न राक्षस। भगवान भोले नाथ भंडारी ने उस विष को सावन के महीने में सोमवार के दिन अपने कंठ में धारण कर सृष्टि एवं मानव जाति की रक्षा की। इसीलिए सावन में भगवान शिव के शिवलिंग पर दूध एवं जल अर्पित करने की परम्परा है। भगवान शंकर अत्यंत शांत समाधि देवता माने जाते हैं।
Why Sawan month is important: एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार चंद्र देव ने इसी दिन (सोमवार) को भोले भंडारी की आराधना करके अपने क्षय रोग से मुक्ति प्राप्त की थी। इसीलिए सोमवार के दिन को भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे उत्तम दिन माना जाने लगा।
शिव बहुत दयालु हैं। ऐसी मान्यता है कि यदि शिव आपसे प्रसन्न हैं तो आपको किसी भी संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस दिन सच्चे मन से भोले बाबा की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पार्वती जी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तप के साथ 16 सोमवार का व्रत भी रखा जिससे प्रसन्न होकर उन्होंने पार्वती जी को मनचाहा वर मांगने को कहा। घोर तपस्या और 16 सोमवार व्रत के कारण वह पार्वती जी को मना नहीं कर पाए। श्रावण मास में शिव परिवार की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है।
Sawan somwar ke achuk upay सावन सोमवार के दिन करें ये काम
सुबह-सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनें।
आसपास कोई मंदिर है तो वहां जाकर भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल व दूध अर्पित करें।
भोलेनाथ के सामने आंखें बंद कर शांति से बैठें और व्रत का संकल्प लें।
दिन में दो बार सुबह और शाम को भगवान शंकर व मां पार्वती की अर्चना जरूर करें।
भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दीया प्रज्ज्वलित करें और फल व फूल अर्पित करें।
ॐ नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान शंकर को सुपारी, पंचामृत, नारियल व बेल की पत्तियां चढ़ाएं।
सावन सोमवार व्रत कथा का पाठ करें और दूसरों को भी व्रत कथा सुनाएं। पूजा का प्रसाद वितरण करें और शाम को पूजा कर व्रत खोलें।
बिल्वपत्र भोले नाथ पर सदैव उल्टा रखकर अर्पित करें।
शिव जी के साथ पार्वती जी पूजा अवश्य करें तभी पूर्ण फल मिलेगा।
पूजन करते वक्त रूद्राक्ष की माला अवश्य धारण करें।