Edited By Prachi Sharma,Updated: 21 Jun, 2024 01:43 PM
जगन्नाथ मंदिर में कल पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। जोरो-शोरो से इस पर्व की तैयारी शुरू हो चुकी है। इसी दिन ही भगवान जगन्नाथ भक्तों के सामने अपनी
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Shree Jagannath Puri: जगन्नाथ मंदिर में कल पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। जोरो-शोरो से इस पर्व की तैयारी शुरू हो चुकी है। इसी दिन ही भगवान जगन्नाथ भक्तों के सामने अपनी बहन और भाई बलभद्र के साथ स्नान करते हैं और ऐसा सिर्फ वर्ष में एक बार ही होता है।
इस बार भगवान के स्नान के लिए सोने के कुएं से पानी निकाला जाएगा। रिपोर्ट्स के अनुसार ये कुआं करीब 4-5 फ़ीट चौड़ा है। इसका ढक्कन काफी बड़ा है और 12-13 लोग मिलकर इसे हटाते हैं। मान्यताओं के अनुसार भक्त इस मंदिर में सोना डालते हैं लेकिन इसमें कितना सोना है ये आज तक किसी को नहीं पता लगा पाया है।
The Lord is not visible even till the Rath Yatra रथयात्रा तक नहीं होते प्रभु के दर्शन
ऐसा कहा जाता है कि इस स्नान के बाद भगवान को बुखार आ जाता है और वो अगले 15 दिन तक किसी को दर्शन नहीं देते हैं। रथ यात्रा से दो दिन पहले कपाट खोल दिए जाते हैं। इस बार रथ यात्रा 7 जुलाई को शुरू होगी।
इस तरह करते हैं प्रभु स्नान
वैसे तो गर्भ गृह में ही प्रभु को स्नान करवाया जाता है लेकिन इसका तरीका थोड़ा अलग है। ये कुछ इस तरह है-
सबसे पहले मूर्ति के सामने एक बड़ा सा शीशा लगाया जाता है और शीशे पर जो भगवान की तस्वीर दिखती है उस पर जल डाला जाता है। इसके बाद तीन बड़ी चौकियों पर बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ प्रभु को विराजित किया जाता है। इसके बाद तीन बड़ी चौकियों पर बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ प्रभु को विराजित करने के बाद, इन्हें सूती कपड़े के साथ लपेटा जाता है। इसके बाद भगवान जगन्नाथ को 35, उनकी बहन सुभद्रा को 22 और बलभद्र को 33 मटके जल के साथ नहलाया जाता है। इसके बाद 18 मटकी जल सुदर्शन जी को अर्पित किया जाता है।