Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Jan, 2022 09:28 AM
कल 14 जनवरी, 2022 को भारत भर में मकर संक्रांति का पर्व बहुत धूमधाम के साथ मनाया गया। वैसे तो ये पर्व अधिकतर लोग र्तीथ स्थानों पर जाकर मनाना पसंद करते हैं क्योंकि वहां पर दान-पुण्य का महत्व
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Banke Bihari Temple Vrindavan: कल 14 जनवरी, 2022 को भारत भर में मकर संक्रांति का पर्व बहुत धूमधाम के साथ मनाया गया। वैसे तो ये पर्व अधिकतर लोग र्तीथ स्थानों पर जाकर मनाना पसंद करते हैं क्योंकि वहां पर दान-पुण्य का महत्व कईं गुणा बढ़ जाता है। कोरोना संकट के चलते और सरकार की गाइडलांइस को ध्यान में रखते हुए बहुत से स्थानों पर कर्फ्यू और लॉकडाउन भी रहा। श्रद्धालु चाहकर भी तीर्थ क्षेत्रों में जा नहीं पाए।
ठाकुर बांके बिहारी के प्यार में मतवाले भक्त वृंदावन जाने का मोह छोड़ नहीं पाए।
चाहे हर साल की तरह वहां रौनक नहीं थी लेकिन फिर भी वहां की छटा निराली थी। सुबह 8.30 बजे बांके बिहारी अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए आए लेकिन उससे पहले ही बड़ी संख्या में भक्त आंखें बिछाए अपने सांवरिया का इंतजार करते दिखे।
मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में हर कोई सबसे पहले बांके बिहारी का दीदार करने को ललायित था। दोपहर 1 बजे तक बिहारी जी ने भक्तों को खुले दर्शन दिए।
उसके बाद शाम 4.30 बजे से लेकर रात 8.30 बजे तक बिहारी जी के दर्शनों के लिए भक्त आते रहे।
श्री बांके बिहारी मंदिर के सेवाधिकारी राजू गोस्वामी जी ने पंजाब केसरी को बातचीत के दौरान बताया की वैसे तो हर साल मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर लगभग 10,000 श्रद्धालु आते हैं लेकिन इस वर्ष औसतन 2000-3000 लोग ही आए।
सुबह के समय बिहारी जी को अपने अन्नय भक्त के द्वारा भेंट की गई लाल रंग की पोशाक पहनाई गई।
उसके बाद उन्होंने अपने दो अन्य प्रेमी भक्तों की पसंद की दो अलग-अलग तरह की पीले रंग की पोशाके धारण करी।
इसके अतिरिक्त ठंड का मौसम होने के कारण भक्त अपने प्रियतम बिहारी जी के लिए शॉल, कंबल, रजाई और गर्म कपड़े लेकर आए।
राजू गोस्वामी जी ने आगे बताया बांके बिहारी जी को ठंड न लगे इसके लिए भक्तों के द्वारा चांदी की अंगीठी, की सेवा भी कराई गई बहुत सारे भक्त बांके बिहारी जी को कड़ाके की ठंड से बचाने के लिए अपनी श्रद्धा अनुसार अंगिठी सेवा भी करते हैं।
वैसे तो बिहारी जी को रोजमर्रा के भोग लगाए गए लेकिन मकर संक्रांति होने के कारण आज विशेष तौर पर उन्हें खिचड़ी, चिक्की, रेवड़ी, गजक, तिल, मूंगफली, फल, ड्राइ फ्रूट का भोग लगाया गया।
जो भक्तों में भी बांटा गया।