Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Dec, 2024 08:17 AM
Dattatreya Jayanti 2024: मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मृग नक्षत्र पर सायंकाल में भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म में भगवान दत्तात्रेय को त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का एकरूप माना गया है। धर्म ग्रंथों के अनुसार श्री दत्तात्रेय भगवान...
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Dattatreya Jayanti 2024: मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मृग नक्षत्र पर सायंकाल में भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म में भगवान दत्तात्रेय को त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का एकरूप माना गया है। धर्म ग्रंथों के अनुसार श्री दत्तात्रेय भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं। वह आजन्म ब्रह्मचारी और अवधूत रहे इसलिए वह सर्वव्यापी कहलाए। यही कारण है कि तीनों ईश्वरीय शक्तियों से समाहित भगवान दत्तात्रेय की आराधना बहुत ही सफल, सुखदायी और शीघ्र फल देने वाली मानी गई है। मन, कर्म और वाणी से की गई उनकी उपासना भक्त को हर कठिनाई से मुक्ति दिलाती है।
कहा जाता है कि भगवान भोले का साक्षात रूप दत्तात्रेय में मिलता है। जब वैदिक कर्मों का, धर्म का तथा वर्ण व्यवस्था का लोप हुआ, तब भगवान दत्तात्रेय ने सबका पुनरुद्धार किया था। हैहयराज अर्जुन ने अपनी सेवाओं से उन्हें प्रसन्न करके चार वर प्राप्त किए थे। पहला बलवान, सत्यवादी, मनस्वी, आदोषदर्शी तथा सह भुजाओं वाला बनने का, दूसरा जरायुज तथा अंडज जीवों के साथ-साथ समस्त चराचर जगत का शासन करने के सामर्थ्य का, तीसरा देवता, ऋषियों, ब्राह्मणों आदि का यजन करने तथा शत्रुओं का संहार कर पाने का और चौथा इहलोक, स्वर्गलोक और परलोक विख्यात अनुपम पुरुष के हाथों मारे जाने का।
कार्तवीर्य अर्जुन (कृतवीर्य का ज्येष्ठ पुत्र) के द्वारा श्रीदत्तात्रेय ने लाखों वर्षों तक लोक कल्याण करवाया था। कृतवीर्य हैहयराज की मृत्यु के उपरांत उनके पुत्र अर्जुन का राज्याभिषेक होने पर गर्ग मुनि ने उनसे कहा था कि तुम्हें श्रीदत्तात्रेय का आश्रय लेना चाहिए, क्योंकि उनके रूप में विष्णु ने अवतार लिया है।
ऐसी मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय गंगा स्नान के लिए आते हैं इसलिए गंगा मैया के तट पर दत्त पादुका की पूजा की जाती है। भगवान दत्तात्रेय की पूजा महाराष्ट्र में धूमधाम से की जाती है। उनको गुरु के रूप में पूजा जाता है।
गुजरात के नर्मदा में भगवान दत्तात्रेय का मंदिर है, जिसे गरुडेश्वर दत्त मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां त्रिदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस मंदिर में लगातार 7 हफ्ते तक गुड़, मूंगफली का प्रसाद अर्पित करने से बेरोजगार लोगों को रोजगार प्राप्त होता है। 52 दिन तक जो व्यापारी यहां आकर दर्शन, पूजा और व्रत करता है उसका मंद पड़ा व्यवसाय छप्पर फाड़ लाभ देना आरंभ कर देता है।