Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Nov, 2021 11:22 AM
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देवासुर संग्राम में जब देवताओं को दानवों ने आहत कर दिया तब असुरों के द्वारा पीड़ित होने से दुर्बल हुए देवताओं को अमृत पिलाने की इच्छा से हाथ में कलश लिए धनवंतरि समुद्र मंथन से प्रकट हुए। देव
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2021 Dhanvantari Trayodashi: देवासुर संग्राम में जब देवताओं को दानवों ने आहत कर दिया तब असुरों के द्वारा पीड़ित होने से दुर्बल हुए देवताओं को अमृत पिलाने की इच्छा से हाथ में कलश लिए धनवंतरि समुद्र मंथन से प्रकट हुए। देव चिकित्सक धनवंतरि का अवतरण कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी (धनतेरस) को हुआ था। शायद इसीलिए धन त्रयोदशी पर कलश आदि अन्य बर्तन खरीदते हैं ताकि उन बर्तनों में अमृत सदा भरा रहे। इस तिथि को आरोग्य देवता के रूप में धन्वंतरि की जयंती मनाई जाती है। उनके नाम के स्मरण मात्र से समस्त रोग दूर हो जाते हैं। भगवान धन्वंतरि देवताओं के चिकित्सक माने जाते हैं। इसलिए यह दिन चिकित्सकों के लिए विशेष महत्व रखता है। कुछ समय से इस दिन को ‘राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है। जैन धर्म में इसे ‘ध्यान तेरस’ भी कहते हैं क्योंकि इस दिन भगवान महावीर ध्यान में गए थे और 3 दिन बाद दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुए थे।
lord dhanvantari path: अच्छे स्वास्थ्य के लिए, आरोग्य प्राप्ति के लिए, अच्छे जीवन के लिए धनतेरस के दिन भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले भगवान धन्वंतरि की मूर्तिया या चित्र, लकड़ी की चौकी, धूप, मिट्टी का दीपक, रूई, गंध, कपूर, घी, फल, फूल, मेवा, मिठाई और भोग के लिए प्रसाद परंपरा के अनुसार सात धान्यों गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल, मसूर को भी पूजा में रखा जाता है।
पहले भगवान गणेश और फिर भगवान धन्वंतरि की पूजा करनी चाहिए। भगवान धन्वंतरि जी के इस पाठ का जाप करें :
ऊँ नमो भगवते महासुदर्शनाय, वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृत कलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्वरोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्रनारायणाय नम:।।
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हाथ जोड़कर पूरे परिवार के स्वास्थ्य की प्रार्थना करें। धनतेरस के साथ ही दीपावली पर्व की शुरुआत हो जाती है। पहले धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और अंत में भैया दूज का त्यौहार मनाया जाता है।
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