Shri guru gobind singh ji: कुछ ऐसा था श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का रूहानी मिशन

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Jan, 2025 07:47 AM

shri guru gobind singh ji

Shri guru gobind singh ji: गुरु साहिब का रूहानी मिशन देश-कौम की हदबंदियों से ऊपर समूची मानवता में सर्वसांझा भाईचारा सृजित करना था। इसके लिए धर्मी राज्य तथा धर्मी समाज की जरूरत थी, जिसमें सामाजिक, आर्थिक असमानता को खत्म कर अमीर-गरीब, ऊंच-नीच के...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Shri guru gobind singh ji: गुरु साहिब का रूहानी मिशन देश-कौम की हदबंदियों से ऊपर समूची मानवता में सर्वसांझा भाईचारा सृजित करना था। इसके लिए धर्मी राज्य तथा धर्मी समाज की जरूरत थी, जिसमें सामाजिक, आर्थिक असमानता को खत्म कर अमीर-गरीब, ऊंच-नीच के पक्षपात को मिटाकर सबमें ‘न को बैरी, नहीं बेगाना’ तथा ‘एकु पिता एकस के हम बारिक’ का रूहानी एहसास जगाया जा सके। श्री गुरु नानक देव जी से लेकर श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी तक इस मिशन की पूर्ति के लिए गुरु साहिबान को लम्बा संघर्ष करना पड़ा, जिसमें दो गुरु साहिबान को अपनी शहादत भी देनी पड़ी। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने श्री गुरु नानक देव जी द्वारा आरंभ किए रूहानी मिशन ‘नानक निर्मल पंथ’ की ‘गुरु खालसा पंथ’ के रूप में सम्पूर्णता करनी थी, इसलिए अकाल पुरख ने विशेष बख्शिशों से निवाज कर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी को इस जगत में भेजा।

PunjabKesari Shri guru gobind singh ji

श्री गुरु गोबिंद सिंह जी इस जगत में आने के मंतव्य के बारे में बताते हुए ‘बचित्र नाटक’ में फरमान करते हैं :
हम इह काज जगत मो आए। धरम हेत गुरदेव पठाए। जहां तहां तुम धरम बिथारो। दुसट दोखीअनि पकरि पछारो।

गुरु साहिबान के इस आत्म कथन से स्पष्ट हो जाता है कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी इस जगत में अधर्म का नाश कर धर्म का राज्य स्थापित करने के लिए आए थे। गुरु जी के इस मिशन की पूर्ति के आगे जो भी दुष्ट-दोषी बाधा बना, चाहे वह मुगल हुकूमत थी, चाहे पहाड़ी हिंदू राजा थे, गुरु जी ने शस्त्रबद्ध संघर्ष करते हुए उन दुष्ट-दोषियों को पछाड़ा और सदैवकालीन धर्मी राज्य तथा धर्मी समाज को स्थापित करने हेतु आदर्श मनुष्य की सम्पूर्णता के तहत खालसा पंथ की सृजना की।

यदि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के समूचे जीवन पर संक्षिप्त नजर डालें को बचपन में गुरु-पिता जी को धार्मिक स्वतंत्रता के लिए शहीद होते देखना, जुल्म तथा अन्याय के विरुद्ध जंग लड़ना, बुजदिल हो चुकी भारतीय मानसिकता के अंदर वीर रस पैदा करने के लिए वीर रसी साहित्य की रचना करना, खालसा पंथ की सृजना करना तथा पंथ की खातिर अपना सरवंश कुर्बान कर देना व अंतिम समय तख्त श्री हुजूर साहिब में सिख संगत को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के लड़ लगाना, देहधारी गुरु परम्परा को खत्म कर ‘नानक निर्मल पंथ’ की ‘गुरु ग्रंथ’ व ‘गुरु पंथ’ के रूप में सम्पूर्णता करते हुए बदी के विरुद्ध निरंतर संघर्ष के लिए पांच सिंहों सहित बाबा बंदा सिंह बहादुर को पंजाब की तरफ भेजना, इतने महान कार्य एक जन्म, वह भी मात्र 42 वर्ष की आयु में सम्पूर्ण कर लेना गुरु जी की अतुल्य शख्सियत तथा अकाल पुरख की कृपा के कारण ही था। गुरु जी के इस जगत में आगमन का उद्देश्य जालिमों का नाश कर मजलूमों तथा मानवाधिकारों की रक्षा करना और लोगों को अपनी इज्जत व अपने अधिकारों के संरक्षक बनाना था।

PunjabKesari sikhism
गुरु जी ने इष्ट अनेकता को खत्म कर इष्ट एकता के उपदेश से धार्मिक, आध्यात्मिक क्रांति पैदा की और एक पुरखी राज्य की धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक गुलामी को खत्म कर पंच प्रधानी सिद्धांत को लागू किया।

आज मानवता को दरपेश समस्याओं तथा हर प्रकार की बुराइयों के समाधान श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की रूहानी विचारधारा में से तलाशे जा सकते हैं। गुरु जी की विचारधारा को विश्व भर में पहुंचाने हेतु हमें एक लहर बनकर आगे आना होगा।

श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रकाश गुरुपर्व मनाते हुए हमें खुद भी आत्म चिंतन करने की जरूरत है कि आज हम गुरु जी के उपदेशों को किस हद तक अपने व्यवहारिक जीवन में अपना सके हैं। आज हम जिन पदवियों तथा रुतबे का आनंद ले रहे हैं, ये सब कलगीधर पिता सरवंशदानी श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की कुर्बानियों के ही कारण है।

 (साभार : गुरमत ज्ञान)

PunjabKesari sikhism

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!