Edited By Prachi Sharma,Updated: 08 Aug, 2024 11:14 AM
ज्जैन में हर त्योहार को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हर छोटे-बड़े पर्व की शुरुआत महाकाल मंदिर से होती है। जल्द ही रक्षाबंधन का त्यौहार आने वाला है। हर वर्ष की तरह इस
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Shri Mahakaleshwar Ujjain: उज्जैन में हर त्योहार को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हर छोटे-बड़े पर्व की शुरुआत महाकाल मंदिर से होती है। जल्द ही रक्षाबंधन का त्यौहार आने वाला है। हर वर्ष की तरह इस साल भी राखी का त्यौहार उज्जैन वासियों के लिए बेहद ही खास होने वाला है। रक्षाबंधन का पर्व 19 अगस्त सोमवार के दिन मनाया जाएगा और इस दिन ही सावन महीने का भी समापन होगा। इस दिन को और भी ज्यादा खास बनाने के लिए उज्जैन में रक्षाबंधन की तैयारियां बहुत ही जोरों-शोरों से चल रही हैं। रक्षाबंधन के दिन उज्जैन के राजा की भव्य सवारी निकाली जाएगी। रक्षा बंधन के दिन बाबा को अर्पित किए जानें वाले लड्डू बन कर तैयार हो गए हैं, वहीं दूसरी तरफ भोलेनाथ को बांधी जाने वाली राखी भी खास तौर पर तैयार की जा रही है।
पूजन परंपरा के मुताबिक रक्षाबंधन पर हर वर्ष भस्म आरती करने वाले पुजारी परिवार की महिलाओं द्वारा महाकाल बाबा को राखी बांधी जाती है। इस बार ये राखी 19 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन भस्म आरती के पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में महादेव को राखी बांधी जाएगी। महादेव को भाई मानकर जिन महिलाओं ने पूरे सावन व्रत है वो बाबा के प्रसाद से ही अपना व्रत का पारण करेंगी। यह रिवाज पौराणिक काल से ही चला आ रहा है।
महाकाल बाबा को लगेगा सवा लाख लड्डुओं महाभोग
इस दिन महाकाल बाबा को राखी बांधने के बाद सवा लाख लड्डुओं का महाभोग लगाया जाएगा। पुजारी परिवार के द्वारा उज्जैन के राजा को ये महाभोग लगाया जाता है। सावन पूर्णिमा के दिन महाकाल को सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। भस्म आरती के बाद सुबह दर्शन के लिए आए भक्तों को भी यह प्रसाद दिया जाएगा। उज्जैन के लोग जो व्रत रखते हैं वो इसी प्रसाद के साथ अपना व्रत खोलते हैं।
महाकाल दिव्य रूप में देंगे दर्शन
महाकाल की नगरी उज्जैन से ही हर पर्व की शुरुआत की जाती है। रक्षाबंधन का पर्व भी सबसे पहले रविवार-सोमवार के बीच की रात 2.30 बजे भस्म आरती के साथ मनाया जाएगा। इस दिन महाकाल बाबा को सोने-चांदी के आभूषण से तैयार किया जाएगा। फिर बाबा का पंचामृत और फलों के रस के साथ अभिषेक होगा और श्रृंगार के बाद बाबा को पुजारी परिवार की महिलाएं राखी बांधेंगी। इसके बाद बाबा महाकाल को सवा लाख लड्डुओं का महा भोग लगेगा। अंत में शाम को बाबा अपने भक्तों को अपने दिव्य रूपों के दर्शन देंगे।