Edited By Prachi Sharma,Updated: 10 Nov, 2024 06:00 AM
भारत की भूमि धन्य है जहां पर समय-समय पर कई महान गुरुओं ने अवतार लेकर लोगों को राष्ट्र सम्मत जीवन बिताने का संदेश दिया।
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भारत की भूमि धन्य है जहां पर समय-समय पर कई महान गुरुओं ने अवतार लेकर लोगों को राष्ट्र सम्मत जीवन बिताने का संदेश दिया। गुरु के संदेश, आदेश व उपदेश समूची मानवता के लिए कल्याणकारी हैं।
श्री हरमिलाप मिशन के 11वें सतगुरु श्री मुनि हरमिलापी जी महाराज ने भी लगभग 60 वर्षों तक मानव धर्म का प्रचार किया। उन्होंने लोगों की भलाई के लिए कई मंदिरों, धर्म स्थलों, स्कूलों व गौशालाओं को निर्माण करवाया तथा लोगों को हमेशा यही संदेश दिया कि-
वह चाल चल कि, उम्र खुशी से कटे तेरी,
वह काम कर कि, लोग तुझे याद किया करें।
उन्होंने बरेली में एक मुसलमान फजल रहमान उर्फ चुन्नू मियां जी से श्री लक्ष्मी नारायण मन्दिर बनवा कर साम्प्रदायिक एकता की मिसाल कायम की।
वह फरमाते थे,‘‘न हिन्दू बुरा है न मुसलमान बुरा है, जो बुराई करता है, वह इंसान बुरा है।’’
वह प्रवचन करते हुए लोगों को संदेश देते कि राष्ट्र निर्माण के लिए चरित्र निर्माण जरूरी है। जो व्यक्ति पहाड़ से गिरता है वह एक बार मरता है, लेकिन जो चरित्र से गिर जाता है वह जीवन में कई बार मरता है इसलिए सफलतापूर्वक जीवन जीने के लिए ‘एक बनो व नेक बनो’। जो व्यवहार आप अपने साथ नहीं चाहते वह दूसरों के साथ भी न करें।
हरमिलापी जी महाराज के बाद श्री हरमिलाप मिशन के 12वें सतगुरु देव श्री मदन मोहन हरमिलापी जी महाराज ने भी लोगों की भलाई के लिए सेवा कार्य शुरू किए और वर्षों से मानवता की सेवा में सक्रिय हैं।
उनका भी यह महत्वपूर्ण संदेश है कि,‘‘हर में हरि निहार कर हर से करो मिलाप, घृणा-द्वेष फिर क्यों रहे, जब सब है अपना आप।’’