Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Nov, 2022 09:59 AM
पवन पुत्र हनुमान जी की राम भक्ति के बारे में सभी जानते हैं, फिर ऐसा क्या हुआ कि श्री राम अपने परम भक्त को मृत्युदंड देने को तैयार हो गए थे ? एक बार सभी संत, महर्षि और ब्राह्मण एक सभा में उपस्थित हुए।
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Story Behind The War Between Lord Ram And Hanuman: पवन पुत्र हनुमान जी की राम भक्ति के बारे में सभी जानते हैं, फिर ऐसा क्या हुआ कि श्री राम अपने परम भक्त को मृत्युदंड देने को तैयार हो गए थे ? एक बार सभी संत, महर्षि और ब्राह्मण एक सभा में उपस्थित हुए। देव ऋषि नारद, गुरु वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र चर्चा करने लगे कि क्या राम का नाम भगवान श्री राम से बड़ा है ? संकट मोचक राम भक्त हनुमान जी भी इस अवसर पर उपस्थित थे, परंतु वह चुपचाप यह चर्चा ध्यानपूर्वक सुन रहे थे
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Ram and hanuman story: नारद जी का विचार था कि भगवान राम का नाम स्वयं भगवान राम से बड़ा है और यह साबित करने का उन्होंने दावा भी किया। जब चर्चा समाप्त हुई और सभी संत, महर्षि वहां से जाने लगे तब नारद जी ने चुपके से हनुमान जी से कहा सभी उपस्थित सज्जनों का सत्कार करो, सिवाय विश्वामित्र के। दलील यह दी कि वह तो राजा हैं। पवन पुत्र ने बारी-बारी से सभी का अभिनंदन किया पर नारद जी ने जैसा समझाया था, विश्वामित्र जी को जानबूझ कर अनदेखा कर दिया। अपना अपमान देख कर महर्षि विश्वामित्र क्रोधित हो गए और गुस्से से तिलमला उठे।
Battle Between Rama And Hanuman: तब उन्होंने हनुमान जी को मृत्युदंड देने का श्री राम से वचन ले लिया क्योंकि वह भगवान श्री राम के गुरु थे। हनुमान जी से भगवान राम बहुत प्रेम करते थे। यह सोच कर कि गुरु आज्ञा न टल जाए, इसलिए श्री राम ने अपने प्रिय भक्त को मृत्युदंड देने का निश्चय कर लिया। राम भक्त हनुमान जी को जब पता चला कि श्री राम उन्हें मारने चले आ रहे हैं तो वह कुछ समझ नहीं पाए। तब महर्षि नारद ने उन्हें राम नाम जपने की सलाह दी। हनुमान जी एक वृक्ष के नीचे बैठ कर श्री राम, श्री राम का जाप करने लगे। राम धुन लगते ही वह गहरे ध्यान में लीन हो गए।
Hanuman vs ram who is more powerful: श्री राम ने अपने प्रिय भक्त पर आक्रमण हेतु तीर चलाने आरंभ किए। राम धुन में लीन हनुमान जी का वे तीर कुछ न बिगाड़ सके। कई अस्त्र-शस्त्र भी चलाए, परंतु वे भी बेअसर रहे। जब श्री राम ने यह देखा तो असमंजस में पड़ गए। उन्होंने मन ही मन विचार किया कि जो भक्त मेरा नाम जप रहा है, उसका मैं तो क्या, कोई भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उनके बरसते अस्त्र-शस्त्र, तीर सब विफल हो रहे थे। उधर उन्होंने अपने गुरु विश्वामित्र के वचनों का पालन भी करना था। फिर उन्होंने प्रलयंकारी ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल किया, मगर ब्रह्मास्त्र भी हनुमान जी का कुछ न बिगाड़ सका। पृथ्वी पर प्रलयंकारी संकट देख महर्षि नारद महर्षि विश्वामित्र के पास गए, उन्हें सब कुछ सच-सच बतला दिया।
Shri Ram and hanuman story: इस संकट को देख कर महर्षि विश्वामित्र जी ने अपने शिष्य भगवान श्री राम को अपने वचनों से मुक्त कर दिया। तब देव ऋषि नारद ने यह सिद्ध कर दिया कि श्री राम नाम स्वयं भगवान श्री राम से बड़ा है, ज्यादा शक्तिशाली है। रुद्रावतार हनुमान जी भगवान शिव का ही स्वरूप हैं। वह उनका 11वां अवतार हैं। हनुमान जी वानर राज केसरी के यहां माता अंजना के गर्भ से जन्मे थे। हनुमान जी हिन्दुओं के एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो आज भी भगवान राम एवं माता सीता के आशीर्वाद से इस संसार में विद्यमान हैं।
आज संसार में जहां भी राम कथा होती है, वह वहां उपस्थित रहते हैं। यह अटल सच है। हनुमान जी उन्हीं पर कृपा बरसाते हैं, जिनका हृदय शुद्ध एवं विचार नेक हैं।
संकट कटे मिटे सब पीरा, जो सुमिरे हनुमत बलबीरा।