Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 Mar, 2023 08:27 AM
कहा जाता है- ‘राम से बड़ा-राम का नाम।’ हमारे ऋषि, मुनि, विद्वान श्री राम का नाम जपने का परामर्श देते हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी ओंकार रूप राम नाम की वंदना करते हैं जो वेद का प्राण है। राम नाम की भरपूर प्रशंसा उन्होंने की है। राम
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Shri Ram Mantra Jaap: कहा जाता है- ‘राम से बड़ा-राम का नाम।’ हमारे ऋषि, मुनि, विद्वान श्री राम का नाम जपने का परामर्श देते हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी ओंकार रूप राम नाम की वंदना करते हैं जो वेद का प्राण है। राम नाम की भरपूर प्रशंसा उन्होंने की है। राम नाम को भगवान शिव जपते हैं और काशी में राम नाम के प्रताप से मुक्ति देते हैं, राम नाम की महिमा गाते हैं।
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तुलसी का सारा दर्शन काल इस पर आधारित है। राम नाम जपने से ब्रह्मपद की पदवी प्राप्त होती है, राम नाम का स्मरण करने से गणपति पहले पूजे जाते हैं। पिता ने गोद में न बैठने दिया इसलिए ध्रुव जी ग्लानिमय हो गए। राम नाम जपने से उन्हें उत्तम स्थान मिला। प्रह्लाद पर परमात्मा की कृपा हुई।
कलियुग में राम महिमा श्रेष्ठ है। तुलसी जी लिखते हैं कि श्री राम ने अहिल्या का उद्धार किया, आज उनके नाम से कितने अहंकार रूपी धनुष टूट गए। राम ने सेतु बांधा। उनके नाम से कितने जीव भवसागर पर सेतु बांधकर उसे पार कर गए।
श्री राम ने रावण को मारा। राम नाम ने कितने साधकों के विकार रूपी दलों का नाश किया है।
श्री राम ने रामराज्य स्थापित किया, उनके भक्तों ने अपने हृदय में रामराज्य स्थापित किया है। कलियुग में सत्य का आचरण और श्री राम का स्मरण करने से दुनिया में कोई शक्ति नहीं है जो उसे पराजित कर सके इसलिए ही संत गण राम नाम का आश्रय लेने का परामर्श देते हैं।