Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Apr, 2017 09:50 AM
Shri Ramayan Katha : अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियां थीं परंतु किसी के भी कोई संतान न होने से राजा बड़े दुखी थे, तब उन्होंने गुरु वशिष्ठ जी को अपना दुख सुनाया और उनके आशीष से राजा दशरथ ने पुत्र कामेष्टि यज्ञ किया जिसके फलस्वरूप उन्हें राम.....
Shri Ramayan Katha : अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियां थीं परंतु किसी के भी कोई संतान न होने से राजा बड़े दुखी थे, तब उन्होंने गुरु वशिष्ठ जी को अपना दुख सुनाया और उनके आशीष से राजा दशरथ ने पुत्र कामेष्टि यज्ञ किया जिसके फलस्वरूप उन्हें राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के रूप में चार पुत्र रत्न प्राप्त हुए। राक्षसों के तंग करने पर गुरु विश्वामित्र अयोध्या आए और उन्होंने भगवान श्री राम (Lord Rama) को अपने आश्रम में ले जाने का आग्रह किया। तब पिता दशरथ ने श्री राम और लक्ष्मण को उनके साथ भेज दिया।
सीता स्वयंवर देखने के लिए गुरु श्री राम-लक्ष्मण को अपने साथ ले गए जहां गुरु आज्ञा से श्री राम ने धनुष तोड़ा और उनका सीता जी के साथ विवाह हुआ। राजा दशरथ ने जब पुत्र श्री राम को राज तिलक देना चाहा तो माता कैकेयी ने राजा दशरथ को अपने दिए वचन को पूरा करने के लिए श्री राम को 14 वर्ष के वनवास पर भेजने की इच्छा जताई। श्री राम को जब अपनी माता की इच्छा का पता चला तो उन्होंने सहर्ष इसे स्वीकार किया और 14 वर्ष के लिए वनवास को चले गए। उनके साथ पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण भी वन को गए।
राम राज्य था कैसा
त्रेता युग में श्री राम के शासन काल को राम राज्य कहा जाता है जिसमें सभी लोग खुश थे। फल-फूल, पशु-पक्षी व समस्त प्रकृति प्रसन्न थी। लोग सत्य बोलते थे, किसी प्रकार का किसी के मन में कोई द्वेष, वैर-विरोध, लूट-खसूट, चोरी-झगड़ा इत्यादि नहीं होता था। सभी परस्पर प्रेम भाव से मिल-जुल कर रहते थे। राजा अपनी प्रजा को संतान की तरह मानते थे। जब 14 वर्ष तक भगवान श्री राम वन में गए तब तक भगवान श्री राम की खड़ाऊं को ही उनके आसन पर रखा गया। भरत ने राज तिलक स्वीकार नहीं किया। शास्त्रानुसार जब तक भगवान वापस नहीं आए तब तक अयोध्या में किसी प्रकार का कोई उत्सव नहीं मनाया गया।
वीना जोशी
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