गुरुवार को किया ये पाठ दिलाएगा साईं नाथ की कृपा अपार

Edited By Jyoti,Updated: 28 Feb, 2019 01:54 PM

shri sai chalisa

गुरूवार के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ साईं बाबा का पूजन करना भी अति शुभकारक माना जाता है। बता दें कि साईं बाबा ने अपना पूरा जीवन दूसरों की भलाई करन में व्यतीत किया था।

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
गुरूवार के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ साईं बाबा का पूजन करना भी अति शुभकारक माना जाता है। बता दें कि साईं बाबा ने अपना पूरा जीवन दूसरों की भलाई करन में व्यतीत किया था। इसलिए ऐसा कहा जाता है जो इंसान निष्काम होकर दूसरों की मदद करता है उस पर साईं नाथ की कृपा हमेशा बनी रहती है। इसके अलावा साईं नाथ की कृपा पाने के लिए अथ श्री चालीसा करने से भी इनकी कृपा दिला सकती है। लेकिन बता दें कि इसके दौरान एक चीज़ का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी होता है। ज्योतिष के अनुसार अगर इस दौरान मन में किसी प्रकार का ज़रा सा भी शक हो तो इसका पर्याप्त फल नहीं मिलता। तो अगर आप भी इनकी कृपा पाना चाहते हैं मन में से हर प्रकार का शंक और मंशा को निकाल कर गुरुवार के दिन इनकी चालीसा का पाठ करें ताकि आपको इनकी कृपा प्राप्त हो सके।
PunjabKesari, Sri Sai Baba, Sai Baba, सांई बाबा
श्री सांई चालीसा-
श्री सांई के चरणों में, अपना शीश नवाऊं मैं
कैसे शिरडी सांई आए, सारा हाल सुनाऊ मैं
कौन है माता, पिता कौन है, यह न किसी ने भी जाना।
कहां जन्म सांई ने धारा, प्रश्न पहेली रहा बना
कोई कहे अयोध्या के, ये रामचन्द्र भगवान हैं।
कोई कहता सांई बाबा, पवन-पुत्र हनुमान हैं
कोई कहता मंगल मूर्ति, श्री गजानन हैं सांई।

कोई कहता गोकुल-मोहन, देवकी नन्द्न हैं सांई
शंकर समझ भक्त कई तो, बाबा को भजते रहते।
कोई कह अवतार दत्त का, पूजा सांई की करते

कुछ भी मानो उनको तुम, पर साँई हैं सच्चे भगवान।
बड़े दयालु, दीनबन्धु, कितनों को दिया जीवनदान
कई बरस पहले की घटना, तुम्हें सुनाऊंगा मैं बात।
किसी भाग्यशाली की शिरडी में, आई थी बारात
आया साथ उसी के था, बालक एक बहुत सुनदर।
आया, आकर वहीं बद गया, पावन शिरडी किया नगर
कई दिनों तक रहा भटकता, भिक्षा मांगी उसने दर-दर।
और दिखाई ऎसी लीला, जग में जो हो गई अमर
जैसे-जैसे उमर बढ़ी, बढ़ती ही वैसे गई शान।

घर-घर होने लगा नगर में, सांई बाबा का गुणगान
दिगदिगन्त में लगा गूंजने, फिर तो साँई जी का नाम।
दीन मुखी की रक्षा करना, यही रहा बाबा का काम
बाबा के चरणों जाकर, जो कहता मैं हूं निर्धन।
दया उसी पर होती उनकी, खुल जाते द:ख के बंधन
कभी किसी ने मांगी भिक्षा, दो बाबा मुझ को संतान।

एवं अस्तु तब कहकर सांई, देते थे उसको वरदान
स्वयं दु:खी बाबा हो जाते, दीन-दुखी जन का लख हाल।
अंत:करन भी साँई का, सागर जैसा रहा विशाल
भक्त एक मद्रासी आया, घर का बहुत बड़ा धनवान।
माल खजाना बेहद उसका, केवल नहीं रही संतान
लगा मनाने सांईनाथ को, बाबा मुझ पर दया करो।
PunjabKesari, Sri Sai Baba, Sai Baba, सांई बाबा
झंझा से झंकृत नैया को, तुम ही मेरी पार करो
कुलदीपक के अभाव में, व्यर्थ है दौलत की माया।
आज भिखारी बनकर बाबा, शरण तुम्हारी मैं आया
दे दे मुझको पुत्र दान, मैं ऋणी रहूंगा जीवन भर।
और किसी की आश न मुझको, सिर्फ भरोसा है तुम पर
अनुनय-विनय बहुत की उसने, चरणों में धर के शीश।

तब प्रसन्न होकर बाबा ने, दिया भक्त को यह आशीष
अल्ला भला करेगा तेरा, पुत्र जन्म हो तेरे घर।
कृपा रहे तुम पर उसकी, और तेरे उस बालक पर
अब तक नहीं किसी ने पाया, सांई की कृपा का पार।
पुत्र रतन दे मद्रासी को, धन्य किया उसका संसार
तन-मन से जो भजे उसी का, जग में होता है उद्धार।

सांच को आंच नहीं है कोई, सदा झूठ की होती हार
मैं हूं सदा सहारे उसके, सदा रहूंगा उसका दास।
सांई जैसा प्रभु मिला है, इतनी की कम है क्या आद
मेरा भी दिन था इक ऎसा, मिलती नहीं मुझे थी रोटी।
तन पर कपड़ा दूर रहा था, शेष रही नन्ही सी लंगोटी
सरिता सन्मुख होने पर भी, मैं प्यासा का प्यासा था।

दुर्दिन मेरा मेरे ऊपर, दावाग्नि बरसाता था
धरती के अतिरिक्त जगत में, मेरा कुछ अवलम्ब न था।
बिना भिखारी में दुनिया में, दर-दर ठोकर खाता था
ऐसे में इक मित्र मिला जो, परम भक्त साँई का था।
जंजालों से मुक्त, मगर इस, जगती में वह मुझसा था
बाबा के दर्शन के खातिर, मिल दोनों ने किया विचार।

सांई जैसे दयामूर्ति के दर्शन को हो गए तैयार
पावन शिरडी नगर में जाकर, देखी मतवाली मूर्ति।
धन्य जन्म हो गया कि हमने, दु:ख सारा काफूर हो गया।
संकट सारे मिटे और विपदाओं का अंत हो गया

मान और सम्मान मिला, भिक्षा में हमको बाबा से।
प्रतिबिंबित हो उठे जगत में, हम साँई की आभा से
बाबा ने सम्मान दिया है, मान दिया इस जीवन में।
PunjabKesari, Sri Sai Baba, Sai Baba, सांई बाबा
इसका ही सम्बल ले, मैं हंसता जाऊंगा जीवन में
सांई की लीला का मेरे, मन पर ऐसा असर हुआ
”काशीराम” बाबा का भक्त, इस शिरडी में रहता था।
मैं सांई का साँई मेरा, वह दुनिया से कहता था
ठसींकर स्वयं वस्त्र बेचता, ग्राम नगर बाजारों में।
झंकृत उसकी हृदतंत्री थी, सांई की झनकारों में
स्तब्ध निशा थी, थे सोये, रजनी आंचल में चांद सितारे

नहीं सूझता रहा हाथ, को हाथ तिमिर के मारे
वस्त्र बेचकर लौट रहा था, हाय! हाट से काशी
विचित्र बड़ा संयोग कि उस दिन, आता था वह एकाकी
घेर राह में खड़े हो गए, उसे कुटिल अन्यायी।
मारो काटो लूटो इसको, ही ध्वनि पड़ी सुनाई
लूट पीटकर उसे वहां से, कुटिल गये चम्पत हो।
आघातों से मर्माहत हो, उसने दी थी संज्ञा खो
बहुत देर तक पड़ा रहा वह, वहीं उसी हालत में।।
कृपा करों हे साई नाथ, मैं शरण पड़ा तेरी।
दुख हरों सब मेरे नाथ, नैया पार करों मेरी।।
PunjabKesari, Sri Sai Baba, Sai Baba, सांई बाबा
विश्व विजेता रावण को बंदर ने कैसे हराया ? (VIDEO)

Related Story

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!