मजार कैसे-कैसे, अजब-गजब वस्तुएं चढ़ाने का चलन है जहां

Edited By ,Updated: 15 Mar, 2017 09:58 AM

shrine mazar of pir baba

संतों व पीरों का देश भारत। यहां पीरों की मजारें हर गांव-नगर में मिल जाती हैं। इनकी मान्यता भी बहुत है।

संतों व पीरों का देश भारत। यहां पीरों की मजारें हर गांव-नगर में मिल जाती हैं। इनकी मान्यता भी बहुत है। लोगों की मनोकामनाएं इनकी जियारत से पूरी होती हैं तभी तो इन्हें पूजा जा रहा है। वैसे तो पीरों की मजारों पर चादरें चढ़ाने की परम्परा है किंतु कुछ मजार ऐसे भी हैं जहां चादर नहीं बल्कि अन्य विशेष वस्तुएं चढ़ाने का चलन है। कमाल शाह यहां झाड़ू भी चढ़ाई जाती है। धामपुर, नगीना उ.प्र. मार्ग पर पुरैनी ग्राम में झाड़ू व छोटे घड़े चढ़ाने की परम्परा भी है। कहते हैं कि यदि किसी को मस्से हों और वह कमाल शाह के यहां झाड़ू चढ़ाए तो मस्से ठीक हो जाते हैं तथा त्वचा संबंधी विकार नष्ट हो जाते हैं।


गुदडिय़ा पीर 

यहां पुराने कपड़े चढ़ाए जाते हैं। बढ़ापुर से ही पांच किलोमीटर दक्षिण की ओर फूलनगर गांव के सामने है गुदडिय़ा पीर। इस जगह एक रीठे के पेड़ पर लटके सैंकड़ों कपड़े यहां की महत्ता बयान करते हैं। कहते हैं कि जब कोई महिला अपने बच्चे के साथ इधर से गुजरती है तो वह बच्चे का या अपना कोई कपड़ा वहां चढ़ा देती है। गर्भवती महिलाएं भी ऐसा ही करती हैं। गन्ने का सीजन शुरू होने पर जब ट्रक चालक पहली बार इस मार्ग से गुजरते हैं तो यहां अपनी पैंट या शर्ट जरूर चढ़ाते हैं। ‘गुदडिय़ा पीर’ के नाम से जाने जाने वाले इस स्थान की मान्यता है कि पुराना कपड़ा यहां चढ़ा देने से कोई भी परेशानी सामने नहीं आती।


लकड़िया पीर 

जहां लकडिय़ां चढ़ाई जाती हैं। बढ़ापुर (बिजनौर) उत्तर प्रदेश के साहूवाला के जंगली इलाके में एक स्थान पर लकड़ी चढ़ाने की परम्परा है। इस मार्ग से गुजरने वाला व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म  या जाति का हो वह लकडिय़ा पीर पर लकड़ी चढ़ाना नहीं भूलता। मान्यता है कि लकडिय़ा पीर इस घने जंगल में लोगों की रक्षा करते हैं। वैसे इस जगह कोई मजार स्पष्ट नहीं दिखाई देती। एक रोचक तथ्य यह भी है कि जब यहां लकडिय़ों का ढेर लग जाता है तो कोई भी आदमी उनमें आग लगा देता है। लोगों का विश्वास है कि इस स्थान पर मांगी गई मुरादें पूरी हो जाती हैं।

 

कलन्दरशाह 

यहां चढ़ते हैं ताले। पानीपत स्थित हजरत शेख शरफुद्दीन अली शाह कलंदर की मजार पर लोग ताला लगाकर मनौतियां मांगते हैं। कहते हैं कि यहां ताला लगाकर मनौती मांगने वालों की मुरादें पूरी भी हो जाती हैं। मुराद होने पर लोग अपने तालों को खोलने भी यहां आते हैं।


शाह विलायत 

अमरोहा स्थित हजरत सैय्यद शरफुद्दीन शाह विलायत की दरगाह के परिसर में सैंकड़ों बिच्छू हैं परन्तु वे किसी को नहीं काटते। मस्से होने पर झाड़ू चढ़ाने से मस्से गायब होने का विश्वास इस स्थान के बारे में भी है। यहां की मान्यता है कि खेत में दीमक या चूहों का प्रकोप होने पर यहां की ईंट या मिट्टी खेत में ले जाकर रखने से प्रकोप से मुक्ति मिल जाती है।

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