Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Nov, 2022 09:16 AM
देवउठनी एकादशी के दिन से ही सभी मंगल कार्यों की शुरुआत हो जाती है। शास्त्रों की मान्यता के अनुसार कार्तिक मास की एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से उठकर पृथ्वी लोक का कार्यभार संभालते हैं।
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Shubh Muhurat in November 2022: देवउठनी एकादशी के दिन से ही सभी मंगल कार्यों की शुरुआत हो जाती है। शास्त्रों की मान्यता के अनुसार कार्तिक मास की एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से उठकर पृथ्वी लोक का कार्यभार संभालते हैं। इसके साथ ही कार्तिक मास की एकादशी तिथि से सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे कि विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश इत्यादि शुरू हो जाते हैं।
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इस बार की देवउठनी एकादशी कल यानी 4 नवंबर को थी परंतु इस एकादशी पर शुक्र ग्रह अस्त हैं। शुक्र ग्रह विवाह का कारक ग्रह है। इस वर्ष विवाह के मुहूर्त देवउठनी एकादशी से नहीं बन रहे हैं। 21 नवंबर को शुक्र के उदय होने पर शुभ कामों का आगमन होगा। इसके साथ ही इस समय ग्रह गोचर के अनुसार मंगल कार्यों के प्रतिनिधित्व करने वाले ग्रह मंगल देव भी वक्री चल रहे हैं। जो कि 13 जनवरी तक उल्टी चाल भी चलेंगे। इसके साथ ही गुरु ग्रह भी 24 नवंबर तक वक्री ही चल रहे हैं, कुल मिलाकर देवउठनी एकादशी के ठीक बाद भी किसी प्रकार का मंगल कार्य होना या शुभ दिन का आना अभी संभव नहीं है।
इसके साथ ही एक और बहुत बड़ी खगोलीय घटना का होना जैसे कि एक ही पक्ष में दो ग्रहों का लगना भी शुभ संकेत नहीं है। पहला ग्रहण जो कि सूर्य ग्रहण था। 25 अक्टूबर को दीपावली के ठीक अगले दिन था और दूसरा चंद्रग्रहण जो कि कार्तिक मास की पूर्णिमा पर 8 नवंबर को लगेगा। इस ग्रहण का प्रभाव आम जनमानस जनजीवन पर बहुत अच्छा नहीं रहेगा क्योंकि एक ही पखवाड़े में दो ग्रहण विश्व की शांति के लिहाज से उचित नहीं हैं। तो ऐसा मानकर चलिए की देवउठनी एकादशी 4 नवंबर को होने के बावजूद ग्रहों की उत्तम दशा व दिशा 8 नवंबर ग्रहण का समय बीतने के बाद ही आप के पक्ष में होगी। 8 नवंबर के बाद एक तो ग्रहण का असर 15 दिनों के अंदर धीरे-धीरे कम होने लग जाएगा और उसके साथ-साथ शुक्र का वृश्चिक राशि में प्रवेश गुरु ग्रह का मार्गी होना सूर्य और बुध का राशि परिवर्तन भी शुभ संकेत लेकर आएगा और इसके बाद से ही विवाह इत्यादि के मुहूर्त निकाले जाएंगे।
अभी हाल फिलहाल की समय अवधि में न केवल शुभ कार्य किए जा सकते हैं बल्कि अभी के समय में किए गए उपाय भी बहुत उत्तम फल नहीं दे रहे हैं। 8 नवंबर तक हमें चाहिए कि अधिक से अधिक मंत्रोच्चारण व पूजा-पाठ से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाएं, जिससे कि इस ग्रहण का दुष्प्रभाव कम से कम पृथ्वी वासियों पर पड़े।
नीलम
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