Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Aug, 2024 11:34 AM
आज से अगस्त का महीना आरंभ हो रहा है। इस माह त्योहारों की बौझार रहने वाली है। जिनमें अग्रेजों से मिली आजादी का पर्व, जन्माष्टमी, हरियाली अमावस्या, अजा एकादशी रक्षाबंधन, नागपंचमी और हरियाली तीज मुख्य
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Raksha Bandhan 2024: आज से अगस्त का महीना आरंभ हो रहा है। इस माह त्योहारों की बौझार रहने वाली है। जिनमें अग्रेजों से मिली आजादी का पर्व, जन्माष्टमी, हरियाली अमावस्या, अजा एकादशी रक्षाबंधन, नागपंचमी और हरियाली तीज मुख्य रुप से मनाए जाएंगे। 19 अगस्त को रक्षा बंधन भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण और मनमोहक त्योहार है, जो भाई-बहन के अटूट रिश्ते और स्नेह को मनाने के लिए समर्पित है। यह पर्व हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को धूमधाम से मनाया जाता है और इसके माध्यम से भाई-बहन के रिश्ते में गहरा प्यार और सुरक्षा की भावना को उजागर किया जाता है।
Shubh muhurat of raksha bandhan रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त- श्रावण पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 19 अगस्त को सुबह 3 बजकर 4 मिनट पर हो रही है और 19 अगस्त रात्रि 11 बज कर 55 मिनट तक पूर्णिमा तिथि ही रहेगी। पूर्णिमा तिथि के आरंभ होते ही भद्रा की व्याप्ति पाताल में रहेगी और भद्रा दोपहर 1 बज कर 31 मिनट पर समाप्त होगी। इस वर्ष पूर्णिमा के दिन सुबह राखी नहीं बांधी जा सकेगी। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू आदि क्षेत्रों में राखी बांधने का मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 48 मिनट से लेकर बाद दोपहर 4 बजकर 25 मिनट तक रहेगा।
हालांकि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू में भद्रा के अशुभ समय का विचार करने की परंपरा नहीं है और अक्सर इन क्षेत्रों में पूर्णिमा के दिन सुबह ही भद्रा लगी होने के बावजूद राखी बांधने का शुभ कार्य करते हैं लेकिन यह शास्त्र सम्मत नहीं है। शास्त्रों ने भद्रा काल के समय को शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना है और शास्त्रों में भद्रा काल में शुभ कार्यों को करने की मनाही की गई है। लेकिन इसके बावजूद यदि किसी को विशेष परिस्थियों में भद्रा के दौरान भी शुभ कार्य करना पड़ जाए तो भद्रा मुख काल को छोड़ कर भद्रा पुछ काल के दौरान रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जा सकता है। भविष्य पुराण में बताया गया है कि भुद्रा पूंछ काल में किए गए शुभ कार्यों में सिद्धि एवं विजय प्राप्त होती है जबकि भद्रा मुख में किए गए कार्य का नाश होता है।
भद्रा पूंछ काल को छोड़ कर शेष सारी भद्रा अशुभ मानी गई है लिहाजा इस सारे समय का त्याग करना चाहिए। यदि किसी को फ़ौज की ड्यूटी अथवा किसी डाक्टर को एमरजेंसी इलाज के लिए जाना हो तो, 19 अगस्त को सुबह 9 बजकर 51 मिनट से लेकर 10 बज कर 54 मिनट तक के भद्रा पूंछ काल के समय में राखी बांधी जा सकती है। लेकिन सुबह 10 बज कर 54 मिनट से लेकर 12 बज कर 38 मिनट तक के भद्रा मुख के काल का विशेष रूप से त्याग करना चाहिए।
इसके अलावा प्रदोष काल का मुहूर्त शाम 6 बजकर 56 मिनट से लेकर रात 9 बज कर 8 मिनट तक रहेगा चूंकि पूर्णिमा तिथि रात 11 बज कर 55 मिनट तक रहेगी। लिहाजा यदि आप चाहें तो शाम के समय 2 घण्टे 12 मिनट के इस मुहूर्त का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
नरेश कुमार
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